नई दिल्ली, भारत और थाईलैंड के बीच रक्षा सहयोग और मैत्रीपूर्ण संबंधों को नया आयाम मिला है। रॉयल थाई एयर फोर्स की 88वीं वर्षगांठ के अवसर पर भारतीय वायु सेना की सूर्यकिरण एरोबेटिक टीम ने 17 साल के बाद बैंकॉक में अपनी कलाबाजी दिखाई। भारतीय वायु सेना की कलाबाजी देखकर हर कोई हैरान रह गया। यह रोमांचक प्रदर्शन केवल एक शो नहीं था, बल्कि भारत और थाईलैंड के बीच गहरे मैत्री संबंधों का प्रतीक भी बना।
बैंकॉक में 8 मार्च को एक और रोमांचक प्रदर्शन की तैयारी जारी है, जिससे दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और मजबूत होने की उम्मीद है। इसके साथ ही आईएनएस सुजाता, आईएनएस शार्दुल और आईसीजीएस वीरा पर सवार भारतीय नौसेना की प्रथम प्रशिक्षण स्क्वाड्रन ने 4 मार्च को थाईलैंड के फुकेट डीप सी पोर्ट का दौरा किया। इस दौरान, भारतीय नौसेना और रॉयल थाई नेवी के बीच एचटीएमएस हुआहिन के साथ समुद्री युद्धाभ्यास भी किया गया।
बंदरगाह प्रवास के दौरान, दोनों नौसेनाओं के बीच पेशेवर आदान-प्रदान, प्रशिक्षण यात्राएं और सामाजिक गतिविधियों का आयोजन किया गया। प्रथम प्रशिक्षण स्क्वाड्रन के वरिष्ठ अधिकारी कैप्टन अंशुल किशोर और भारतीय जहाजों के कमांडिंग अधिकारियों ने थाईलैंड की तीसरी नौसेना क्षेत्र कमान के कमांडर, वाइस एडमिरल सुवत डोनसाकुल से मुलाकात की। बातचीत में क्षेत्रीय सुरक्षा, संयुक्त अभ्यास और सद्भावना गतिविधियों पर चर्चा की गई।
प्रथम प्रशिक्षण स्क्वाड्रन के प्रशिक्षु नौसैनिकों ने फांगना नौसेना बंदरगाह, तीसरी नौसेना क्षेत्र कमान और एचटीएमएस क्राबी का दौरा किया। साथ ही, स्कूली बच्चों, आरटीएन कर्मियों और भारतीय प्रवासियों के लिए प्रथम प्रशिक्षण स्क्वाड्रन जहाजों का दौरा आयोजित किया गया। इस यात्रा के अन्य मुख्य आकर्षणों में पटोंग बीच पर भारतीय नौसेना बैंड का संगीत कार्यक्रम शामिल था, जिसमें स्थानीय लोगों और पर्यटकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
भारतीय दूतावास और प्रथम प्रशिक्षण स्क्वाड्रन के वरिष्ठ अधिकारियों ने एक विशेष स्वागत समारोह का आयोजन किया, जिसमें थाईलैंड की नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी, भारतीय प्रवासियों के विशिष्ट सदस्य, राजनयिक और अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
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