संयुक्त राष्ट्र, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने घोषणा की है कि नई दिल्ली शांति सैनिकों के खिलाफ अपराधों की निगरानी करने और न्याय की लड़ाई में सहायता के लिए एक व्यापक डेटाबेस स्थापित करेगी। शांति सैनिकों के खिलाफ अपराधों में वृद्धि का हवाला देते हुए उन्होंने गुरुवार को कहा कि डेटाबेस और शांति सैनिकों के खिलाफ अपराधों की रिकॉडिर्ंग और आकलन के लिए विश्लेषणात्मक साधन न्याय के लिए महत्वपूर्ण होंगे।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और जिस देश में शांति सैनिक तैनात हैं, उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे सुरक्षित रहें और उन पर हमला करने वालों को सजा मिले।
उन्होंने समस्या से निपटने के लिए 35 देशों के संयुक्त राष्ट्र समूह के लॉन्च के मौके पर कहा, प्रौद्योगिकी इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक हो सकती है।
भारत, बांग्लादेश, मिस्र, फ्रांस, मोरक्को और नेपाल ने समस्या की गंभीरता को उजागर करते हुए लेबनान में एक आयरिश शांतिदूत के मारे जाने के एक दिन बाद संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के खिलाफ अपराधों के लिए उत्तरदायित्व पर मित्र समूह का शुभारंभ किया।
शांति अभियान के अवर महासचिव जीन-पियरे लैक्रोइक्स ने कहा, दुर्भाग्य से ऐसे अपराधों के लिए जिम्मेदार लोगों में से बहुत कम लोगों को न्याय के कटघरे में लाया गया है। पीड़ितों को अब भी न्याय का इंतजार है।
उन्होंने कहा कि ये अपराध अक्सर उन क्षेत्रों में किए जाते हैं जहां राज्य के अधिकार सीमित होते हैं और कानून प्रवर्तन कर्मी अनुपस्थित होते हैं जिससे जवाबदेही सुनिश्चित करना एक चुनौती बन जाता है।
जयशंकर ने कहा, ‘ तीन साल में ही 20 देशों के 68 शांतिरक्षकों ने शांति के लिए अपनी जान गंवाई है।’
भारत ऐतिहासिक रूप से संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में कर्मियों का सबसे बड़ा योगदानकर्ता है और इसके 177 नागरिक मारे गए हैं।
जयशंकर ने कहा, दुनिया भर के शांति सैनिक उन लोगों की रक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर आगे बढ़ते हैं, जो अपनी रक्षा करने में असमर्थ हैं और यह हमारा पवित्र कर्तव्य है कि हम रक्षकों की रक्षा करें।
उन्होंने कहा, जब शांति सैनिकों के खिलाफ अपराध किए जाते हैं, तो यह महत्वपूर्ण है कि सदस्य राज्य, शांति मिशन कमांड और सचिवालय समय पर जांच करें और मेजबान देशों को आवश्यक विशेषज्ञता, संसाधन और राजनीतिक प्रोत्साहन प्रदान कर मदद करें।