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भारत 52 उपग्रहों के समूह की मदद से रखेगा चीन, पाकिस्तान पर नजर

India will keep an eye on China, Pakistan with the help of group of 52 satellites

नई दिल्ली, 12 अक्टूबर । भारत की सुरक्षा क्षमताओं के लिए शुभ संकेत के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने अंतरिक्ष-आधारित निगरानी (एसबीएस) मिशन के तीसरे चरण को मंजूरी प्रदान कर दी है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। यह निर्णय निचली पृथ्वी और भूस्थैतिक कक्षाओं में 52 निगरानी उपग्रहों के प्रक्षेपण का मार्ग प्रशस्त करेगा।

मोदी सरकार के इस कदम से चीन और पाकिस्तान जैसे विरोधियों की रातों की नींद उड़ने वाली है क्योंकि उपग्रह समूह के पूरी तरह सक्रिय होने के बाद दोनों पड़ोसियों पर लगातार निगरानी रखी जाएगी।

मामले के जानकार सूत्रों ने कहा कि इस बढ़ी हुई क्षमता के साथ, भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सक्रिय दुश्मन पनडुब्बियों का पता लगाने में सक्षम होगा। इसके अलावा, वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चीन द्वारा किसी भी अवैध बुनियादी ढांचे के विकास की निगरानी और बारीकी से की जा सकेगी।

भारत की अंतरिक्ष-आधारित निगरानी क्षमताओं में बड़ी बढ़ोतरी का सरकार का निर्णय बहुत महत्वपूर्ण समय पर आया है, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में तनाव बढ़ रहा है और भू-राजनीतिक परिस्थितियों में तेजी से बदलाव आ रहा है। चूंकि चीन इस क्षेत्र में विस्तार करने के लिए अत्यधिक मुखर बना हुआ है, इसलिए बीजिंग के कार्यों की प्रभावी ढंग से निगरानी करने और प्रतिक्रिया देने के लिए निगरानी उपग्रहों को तैनात करने जैसे भारत के सुरक्षा उपायों को मजबूत करने का निर्णय एक समय पर की गई कार्रवाई है।

क्षेत्र में चीन की आक्रामकता के जवाब में मोदी सरकार देश के समुद्री और अन्य सुरक्षा क्षेत्रीय हितों की सुरक्षा के लिए प्रभावी उपाय लागू कर रही है। भारत यह भी सुनिश्चित करेगा कि शत्रु पनडुब्बियों से संभावित खतरों का तुरंत पता लगाया जाए और उनसे निपटा जाए। समुद्री सुरक्षा से परे, विशेषज्ञ संकेत देते हैं कि ये उपग्रह भारत की भूमि सीमाओं पर विरोधियों द्वारा बुनियादी ढांचे के विकास की भी निगरानी करेंगे।

इस कदम में चीन के साथ विवादित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर निगरानी शामिल है, जहां नई सड़कों, हवाई पट्टियों और सैन्य चौकियों के निर्माण ने पिछले कई वर्षों में बड़ी चिंताएं पैदा की हैं। इसके अलावा, पाकिस्तान सीमा पर निगरानी बढ़ने से भारत नई रक्षा-संबंधित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर नजर रखने में सक्षम होगा जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जोखिम पैदा कर सकती हैं।

सूत्रों का कहना है कि भारत इन उपग्रहों से चीन की अवैध और विस्तारवादी गतिविधियों के बारे में जुटाई गई जानकारी और प्रमुख इनपुट को अन्य देशों के साथ भी साझा कर सकेगा।

नागरिक और सैन्य दोनों उद्देश्यों के लिए भूमि और समुद्री क्षेत्रों में जागरूकता में सुधार लाने के उद्देश्य से निगरानी उपग्रह परियोजना का प्रबंधन रक्षा मंत्रालय के एकीकृत मुख्यालय के तहत रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी के सहयोग से राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय द्वारा किया जा रहा है। कुल 26,968 करोड़ रुपये के अनुमानित बजट वाली इस परियोजना में इसरो द्वारा 21 उपग्रहों का निर्माण और प्रक्षेपण शामिल है, जबकि शेष 31 उपग्रह निजी कंपनियों द्वारा विकसित किए जाएंगे।

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