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भारतीय मुक्केबाज अंतरराष्ट्रीय युवा मुक्केबाजी प्रतियोगिता के लिए चीन पहुंचे

Indian boxers reach China for international youth boxing competition

 

नई दिल्ली, भारत की 59 सदस्यीय टीम चीन के शिनजियांग प्रांत के उरुमची शहर पहुंची है। यहां वह तीसरे “बेल्ट ऐंड रोड इंटरनेशनल यूथ बॉक्सिंग गाला” (अंडर-17/अंडर-19/अंडर-23 अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर और प्रतियोगिता) में भाग ले रही है।

इस दल में 20 लड़के और 20 लड़कियां शामिल हैं। इनके साथ 12 कोच, 6 सहयोगी कर्मचारी और 1 रेफरी व जज भी गए हैं। इस कार्यक्रम का आयोजन चीनी बॉक्सिंग फेडरेशन और शिनजियांग उइगर स्वायत्तशासी क्षेत्र की सरकार ने किया है। प्रशिक्षण शिविर 17 से 25 अगस्त तक चलेगा और प्रतियोगिताएं 26 से 29 अगस्त तक उरुमची और यीली में होंगी।

इस संस्करण में केवल अंडर-17 लड़के और लड़कियाँ ही भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इन खिलाड़ियों का चयन छठे यू-17 जूनियर बॉयज और गर्ल्स नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2025 से किया गया है। एशियन यूथ गेम्स भार वर्गों में स्वर्ण और रजत पदक जीतने वाले तथा अन्य वर्गों में स्वर्ण पदक पाने वाले खिलाड़ी इसमें चुने गए हैं।

मुक्केबाज कई वर्गों में प्रतिस्पर्धा करेंगे। अंडर-17 लड़के और लड़कियां 13 भार वर्गों में प्रतिस्पर्धा करेंगे – 46 किग्रा, 48 किग्रा, 50 किग्रा, 52 किग्रा, 54 किग्रा, 57 किग्रा, 60 किग्रा, 63 किग्रा, 66 किग्रा, 70 किग्रा, 75 किग्रा, 80 किग्रा और +80 किग्रा।

यह अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर और प्रतियोगिता भारतीय खिलाड़ियों को मजबूत विदेशी खिलाड़ियों के साथ खेलने का अवसर देगा। इससे उन्हें बड़ा अनुभव और आत्मविश्वास मिलेगा।

हाल के महीनों में भारतीय जूनियर मुक्केबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया है। इस साल एशियन अंडर-15 और अंडर-17 चैम्पियनशिप में भारत ने कुल 43 पदक जीतकर टीम तालिका में दूसरा स्थान पाया था।

इसी महीने बैंकॉक में हुई एशियन अंडर-19 और अंडर-22 चैम्पियनशिप में भारत ने 27 पदक जीते। 10 दिनों तक चली इन प्रतियोगिताओं में एशिया के सर्वश्रेष्ठ युवा खिलाड़ी उतरे थे। भारत अंडर-19 रैंकिंग में दूसरे और अंडर-22 में चौथे स्थान पर रहा।

भारत ने अंडर-19 वर्ग में 14 पदक (3 स्वर्ण, 7 रजत और 4 कांस्य) जीतकर पदक संख्या के हिसाब से सबसे ज्यादा नंबर पर रहा, जबकि स्वर्ण पदकों में उज्बेकिस्तान से पीछे रहा। अंडर-22 वर्ग में भारत को 4 रजत समेत 13 पदक मिले और कुल मिलाकर चौथा स्थान मिला।

ये उपलब्धियां बताती हैं कि भारत में जमीनी स्तर पर मुक्केबाजी लगातार मजबूत हो रही है और नई पीढ़ी विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाने की क्षमता रखती है।

 

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