नई दिल्ली, 5 जुलाई । रक्षा मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान स्वदेशी रक्षा उत्पादन में अब तक की सबसे अधिक वृद्धि हासिल की है। देश में रक्षा उत्पादन रिकॉर्ड ऊंचाई तक बढ़कर यानी 1,26,887 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।
रक्षा से संबंधित सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (डीपीएसयू), रक्षा सामग्रियों का उत्पादन करने वाले अन्य सार्वजनिक उपक्रमों और निजी कंपनियों से प्राप्त आंकड़े यह वृद्धि बताते हैं। यह पिछले वित्तीय वर्ष के रक्षा उत्पादन की तुलना में 16.7 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान रक्षा उत्पादन का मूल्य 1,08,684 करोड़ रुपये था।
गौरतलब है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान रक्षा निर्यात ने 21,083 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड ऊंचाई को छू लिया, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 32.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। पिछले वर्ष यह आंकड़ा 15,920 करोड़ रुपये का था। इस उपलब्धि पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम वर्ष-दर-वर्ष नई उपलब्धियां हासिल कर रहा है।
उन्होंने भारत को एक अग्रणी वैश्विक रक्षा उत्पादन केंद्र के रूप में विकसित करने के सरकार के अटूट संकल्प को दोहराया। वर्ष 2023-24 के दौरान उत्पादन के कुल मूल्य (वीओपी) में, डीपीएसयू/अन्य पीएसयू द्वारा लगभग 79.2 प्रतिशत और निजी क्षेत्र द्वारा 20.8 प्रतिशत का योगदान किया गया है। आंकड़ों से पता चलता है कि पूर्ण मूल्य के संदर्भ में, डीपीएसयू/पीएसयू और निजी क्षेत्र, दोनों ने रक्षा उत्पादन में लगातार वृद्धि दर्ज की है।
राजनाथ सिंह ने रक्षा उत्पादन को सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर ले जाने के लिए डीपीएसयू, रक्षा सामग्रियों का उत्पादन करने वाले अन्य सार्वजनिक उपक्रमों और निजी उद्योग सहित संपूर्ण रक्षा उद्योग को बधाई दी।
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि आत्मनिर्भरता प्राप्त करने पर ध्यान देते हुए पिछले 10 वर्षों के दौरान सरकार द्वारा किए गए विभिन्न नीतिगत सुधारों व पहलों और व्यापार करने में आसानी से जुड़े कदमों के कारण यह उपलब्धि अर्जित हुई है। स्वदेशीकरण के प्रयासों को निरंतर आधार पर आक्रामक तरीके से आगे बढ़ाया गया है, जिसके परिणामस्वरूप अब तक का सबसे अधिक वीओपी हासिल हुआ है।
इसके अलावा, बढ़ते रक्षा निर्यात ने स्वदेशी रक्षा उत्पादन की समग्र वृद्धि में जबरदस्त योगदान दिया है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक पिछले पांच वर्षों के दौरान (2019-20 से), रक्षा उत्पादन का मूल्य लगातार बढ़ता रहा है और इसमें 60 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।
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