कारागार एवं सुधार सेवाएं निदेशालय ने कैदियों के मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक कल्याण में सहयोग देने के उद्देश्य से ‘उन्मेष – जब मन खिलता है’ कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम के तहत, मनोविज्ञान के सेवानिवृत्त प्रोफेसर सुनील शर्मा, कैदियों को परामर्श सेवाएँ प्रदान करेंगे। यह कार्यक्रम शिमला ज़िले के कंडा स्थित आदर्श केंद्रीय कारागार में शुरू किया गया है।
यह कार्यक्रम लगभग तीन महीने तक चलेगा और जल्द ही राज्य की शेष जेलों में भी आयोजित किया जाएगा। इसके साथ ही, कैदियों में पर्यावरण जागरूकता और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए वेस्ट वॉरियर्स के सहयोग से ‘वेस्ट अंडर अरेस्ट’ नामक एक और पहल भी शुरू की गई है। इस कार्यक्रम के तहत, अपशिष्ट प्रबंधन और अपशिष्ट पदार्थों से उपयोगी उत्पाद बनाने पर कार्यशालाएँ आयोजित की जाएँगी।
इन कार्यक्रमों का शुभारंभ राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल के कंडा जेल दौरे और कैदियों के साथ बातचीत के दौरान किया गया। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कारागार) अभिषेक त्रिवेदी ने राज्यपाल को विभाग की गतिविधियों, पुनर्वास पहलों और सुधार कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी।
राज्यपाल ने कहा कि जेल के कैदियों को “हर हाथ को काम” पहल के तहत विभिन्न कार्यों में लगाया गया है और उनके द्वारा तैयार किए गए उत्पादों को हिमकारा स्टोर के माध्यम से बेचा जा रहा है। उन्होंने इस बात की सराहना की कि इससे अर्जित लाभ का 40 प्रतिशत कैदियों को मजदूरी के रूप में दिया जा रहा है।
राज्यपाल ने कहा कि सुधर गृह में कैदियों को विभिन्न कार्यों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें, अपने परिवार की देखभाल कर सकें और स्टार्ट-अप शुरू करके दूसरों को रोजगार प्रदान कर सकें।


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