January 30, 2025
Haryana

बंगाल के स्वास्थ्य विभाग ने आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को किया निलंबित

Instructions to the Ministry of Road Transport and Communications to accelerate works related to infrastructure

कोलकाता, 4 सितम्बर । पश्चिम बंगाल सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने मंगलवार को अंततः कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के विवादास्पद पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को निलंबित कर दिया। संस्थान में 9 अगस्त को एक जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर के साथ बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी। उस समय घोष संस्थान के प्रभारी थे।

स्वास्थ्य विभाग ने मंगलवार देर शाम जारी एक आधिकारिक आदेश में घोष के निलंबन की घोषणा की। हालांकि, इस आदेश पर स्वास्थ्य सचिव एन.एस. निगम की बजाय विभाग में विशेष कार्य अधिकारी के हस्ताक्षर हैं।

आदेश में कहा गया है, “कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष के खिलाफ चल रही आपराधिक जांच के मद्देनजर, घोष को पश्चिम बंगाल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1971 के नियम 7(1सी) के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है।”

हालांकि, चिकित्सा बिरादरी के प्रतिनिधियों ने राज्य सरकार की देर से की गई कार्रवाई पर सवाल उठाया है। राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार की घोष को बचाने के लिए पहले से ही आलोचना हो रही है।

घोष को 16 दिनों की पूछताछ के बाद सोमवार शाम केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गिरफ्तार कर लिया। मंगलवार को एक अदालत ने उन्हें आठ दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया।

घोष के खिलाफ सीबीआई दो समानांतर जांच कर रही है। एक महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या का मामला है जबकि दूसरा मामला उनके कार्यकाल के दौरान आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ा है। उन्हें इसी दूसरे मामले में गिरफ्तार किया गया है।

संस्थान में महिला डॉक्टर के शव की बरामदगी के कुछ दिन बाद घोष ने आर.जी. कर के प्रिंसिपल पद के साथ-साथ राज्य चिकित्सा सेवाओं से भी इस्तीफा देने की घोषणा की। हालांकि, उसी दिन उनके इस्तीफे को स्वीकार करने की बजाय, स्वास्थ्य विभाग ने एक अधिसूचना जारी कर घोष को कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल (सीएनएमसीएच) का प्रिंसिपल नियुक्त करने की घोषणा की, जिसकी हर तरफ से आलोचना हुई। इस कदम के बाद घोष और राज्य सरकार दोनों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शनों की बाढ़ आ गई। राज्य सरकार पर घोष को बचाने का आरोप लगाया गया।

हालांकि, घोष सीएनएमसीएच के प्रिंसिपल का पदभार नहीं संभाल सके, क्योंकि कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने आर.जी. कर घटना की सीबीआई जांच का आदेश देते हुए, अगले आदेश तक उन्हें राज्य के किसी भी मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल नियुक्त करने पर भी रोक लगा दी।

घोष की मुश्किलें तब और बढ़ गईं जब आर.जी. कर के पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली ने कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और अस्पताल में वित्तीय ‘अनियमितताओं’ की केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने की मांग की।

अपनी याचिका में अली ने बताया कि वित्तीय अनियमितताओं को उजागर करने के लिए व्हिसल ब्लोअर के रूप में राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में की गई उनकी पिछली अपीलों को प्रशासनिक मशीनरी ने कैसे नजरअंदाज कर दिया।

अली की याचिका पर कार्रवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने सीबीआई को बलात्कार और हत्या के मामले के साथ-साथ वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों की समानांतर जांच करने का निर्देश दिया।

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