नई दिल्ली, 5 अगस्त । सशस्त्र बलों की सुरक्षा संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए एक योजना तैयार की गई है। मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ द्वारा सभी हितधारकों के परामर्श से यह ‘एकीकृत क्षमता विकास योजना’ तैयार की गई है।
इसका उद्देश्य सशस्त्र बलों की वर्तमान और भविष्य की सुरक्षा संबंधी जरूरतों को पूरा करना है। तीनों सेनाओं के पास रखरखाव, मरम्मत तथा ओवरहाल (एमआरओ) मैनुअल एवं प्रक्रियाओं की समीक्षा करने के लिए आवश्यक तंत्र उपलब्ध हैं।
रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ के मुताबिक इनमें, अन्य बातों के अलावा, नौसेना में सभी जहाजों एवं पनडुब्बियों के लिए भारतीय नौसेना जहाज रखरखाव प्राधिकरण (आईएनएसएमए), भारतीय वायुसेना (आईएएफ) में विमानों एवं प्रणालियों आदि के लिए सेंट्रल सर्विसिंग डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (सीएसडीओ) और बेस रिपेयर डिपो (बीआरडी) शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि स्वदेशी उपकरणों के लिए, जहां लागू हो, डीपीएसयू/भारतीय उद्योग के परामर्श से उपयोगकर्ताओं द्वारा एमआरओ समीक्षाएं भी की जाती हैं। रखरखाव और मरम्मत से संबंधित नियमावली एवं प्रक्रियाएं नियमित रूप से अद्यतन की जाती हैं।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक दो-वर्षीय रोल-ओवर वार्षिक अधिग्रहण योजना के हिस्से के रूप में, इस योजना की वार्षिक समीक्षा की जाती है। वार्षिक अधिग्रहण योजना की समीक्षा सेना मुख्यालय और मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ, दोनों स्तरों पर की जाती है। यह जानकारी रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ ने सोमवार को राज्यसभा में सांसद सुजीत कुमार को एक लिखित उत्तर में दी।
गौरतलब है कि भारतीय थल सेना, नौसेना और एयरफोर्स के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय सम्मेलन सोमवार को दिल्ली में हुआ है। इस त्रि-सेवा सम्मेलन का उद्देश्य सशस्त्र बलों के वित्तीय मुद्दों में सामंजस्य और तालमेल बढ़ाना है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने इस शीर्ष स्तरीय त्रि-सेवा वित्तीय सम्मेलन की अध्यक्षता की।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस महत्वपूर्ण बैठक में रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, रक्षा मंत्रालय (वित्त), रक्षा लेखा महानियंत्रक, एकीकृत वित्तीय सलाहकार सेवाएं, सरकारी ई-मार्केटप्लेस, सेवा मुख्यालय और भारतीय तटरक्षक मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।