चेन्नई, 1 अप्रैल । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कच्चातिवु मुद्दे पर कांग्रेस और डीएमके पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि दोनों परिवारवादी पार्टियाें की उदासीनता के कारण मछुआरों के हितो को नुकसान हुआ है।
‘एक्स’ पर एक पोस्ट में, पीएम मोदी ने कहा, “बयानबाजी के अलावा, डीएमके ने तमिलनाडु के हितों की रक्षा के लिए कुछ भी नहीं किया है। कच्चातिवु पर सामने आए नए विवरणों ने डीएमके के दोहरे मानकों को उजागर कर दिया है। कांग्रेस और डीएमके पारिवारिक इकाइयां हैं। वे केवल अपने बेटे-बेटियों की परवाह करते हैं। उन्हें किसी और की परवाह नहीं है। कच्चातिवु पर उनकी उदासीनता ने, विशेष रूप से हमारे गरीब मछुआरों के हितों को नुकसान पहुंचाया है।”
प्रधानमंत्री तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के.अन्नामलाई को दिए विदेश मंत्रालय के एक आरटीआई जवाब पर आधारित मीडिया रिपोर्ट का जवाब दे रहे थे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत सरकार ने 1974 में कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया ।
आरटीआई के जवाब में विदेश मंत्रालय ने कहा कि देश के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लिखा था कि “द्वीप अप्रासंगिक है” और इसे अपने पास रखने का कोई कारण नहीं है।
अन्नामलाई द्वारा प्राप्त और सार्वजनिक डोमेन में मौजूद दस्तावेज़ में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि तत्कालीन अटॉर्नी जनरल और विख्यात अधिवक्ता एम.सी. सीतलवाड ने सलाह दी थी कि कच्चातिवु द्वीप पर अधिकार बनाए रखने के लिए भारत के पास ठोस कानूनी आधार है, क्योंकि ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस द्वीप को तत्कालीन रामानाद (रामनाथपुरम) के राजा को सौंप दिया था।
गौरतलब है कि श्रीलंकाई नौसेना द्वारा भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार करने और उनकी महंगी नौकाओं को जब्त करने से तमिलनाडु के मछुआरों को कठिन स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। इस साल जनवरी से अब तक 125 से अधिक तमिल मछुआरों को श्रीलंकाई नौसेना द्वारा गिरफ्तार किया गया है।
मछुआरों की गिरफ्तारी और महंगी नौकाओं को जब्त करने के खिलाफ रामनाथपुरम, नागापट्टिनम, पुडुकोट्टई और तमिलनाडु के मछली पकड़ने वाले कई गांवों में मछुआरे परिवार हड़ताल पर हैं।
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