उधमपुर जिले की महिलाएं अब पहले से कहीं ज्यादा सशक्त और आत्मनिर्भर बन रही हैं। यह बदलाव उन सरकारी योजनाओं के कारण संभव हो पाया है, जिनका उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक स्वतंत्रता प्रदान करना है।
जिले की महिलाएं अब भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठा रही हैं। इनमें स्वयं सहायता समूह महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इन समूहों में महिलाएं एकजुट होकर संसाधन साझा करती हैं और एक-दूसरे का साथ देती हैं। इससे उन्हें वित्तीय सहायता और माइक्रोफाइनेंस के अवसर मिलते हैं, जो उन्हें छोटे व्यवसाय शुरू करने और उन्हें बनाए रखने में मदद करते हैं।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाएं अब अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं। इस मिशन का उद्देश्य गरीब परिवारों को स्वरोजगार और कुशल मजदूरी के अवसर देना है। उधमपुर में महिलाएं इससे लाभ उठाकर अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर बना रही हैं।
‘प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम’ भी महिलाओं के सशक्तिकरण में अहम भूमिका निभा रहा है। यह योजना महिलाओं को सूक्ष्म उद्यम स्थापित करने के लिए प्रेरित करती है। उधमपुर में महिला उद्यमी इस योजना का उपयोग कर विभिन्न क्षेत्रों में व्यवसाय शुरू कर रही हैं, जिससे जिले की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल रही है।
उधमपुर की उपायुक्त सुश्री सलोनी राय ने मीडिया से बातचीत में महिलाओं की प्रगति की सराहना की।
उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाओं की मदद मिलने से महिलाएं न केवल व्यक्तिगत रूप से प्रगति कर रही हैं, बल्कि समाज के समग्र विकास में भी योगदान दे रही हैं। महिलाएं अब अपने परिवारों की आय में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं और अपने व्यवसायों का सफलतापूर्वक संचालन कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेकर उनकी स्किल्स में भी सुधार हुआ है, जिससे वे स्थानीय और राष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धी बन गई हैं। महिलाएं अब सामुदायिक निर्णय लेने में भी सक्रिय रूप से हिस्सा ले रही हैं।
उन्होंने कहा कि उधमपुर जिले की महिलाओं का सशक्तिकरण की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो लैंगिक समानता और सतत विकास की ओर बढ़ा कदम साबित हो रहा है।
स्वयं सहायता समूह की अगुवाई करने वाली महिला सरीता देवी ने आईएएनएस से बातचीत में बताया कि हमारी शुरू से ही इच्छा थी कि हम अपना खुद का व्यापार करें। लेकिन, कहीं से भी कोई आर्थिक सहायता नहीं मिल पा रही थी। इसके बाद मैंने हार्टिकल्चर डिपार्टमेंट से संपर्क किया। वहां मैंने प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद मैंने जूट की खेती शुरू की। इसके अलावा हम अचार, जैम और मसाला भी बना रहे हैं। मेरे साथ मेरी 12 बहनें काम कर रही हैं। वे सभी बहुत खुश हैं। वे किसी पर भी निर्भर नहीं हैं। इससे हमें जो भी आय प्राप्त होती है, उसे हम आपस में बराबर बांटते हैं। हम लोग बहुत खुश हैं।
Leave feedback about this