नई दिल्ली, 29 सितंबर। प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम के तहत निवेश आने के कारण रोजगार के अवसर 40 प्रतिशत बढ़कर 12 लाख पर पहुंच जाएंगे, जो कि फिलहाल 8.50 लाख पर हैं। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की ओर से पीएलआई योजनाओं के सीईओ से बातचीत करते हुए रविवार को यह बयान दिया गया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पीएलआई स्कीम और ‘मेक इन इंडिया’ दोनों एक-दूसरे के पूरक बन गए हैं। आज के समय में दोनों को अलग करके देखना कठिन है। पीएलआई स्कीम के तहत उत्पादन बढ़कर आने वाले समय में 11 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच सकता है, जो कि मौजूदा समय में 9 लाख करोड़ रुपये पर है।
गोयल ने आगे कहा कि सरकारी खरीद में हमें सेक्टर के हिसाब से कुछ बदलाव करने की आवश्यकता है, जहां घरेलू मूल्यवर्धन कम है। मैंने अपने अधिकारियों से इसे लेकर रोडमैप पर चर्चा की है कि वे कैसे क्लास-1 और क्लास-2 आपूर्तिकर्ता बन सकते हैं।
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के मुताबिक, क्लास-1 आपूर्तिकर्ता वे होते हैं, जिनके उत्पादों में स्थानीय कंटेट 50 प्रतिशत या उससे अधिक होता है। वहीं, क्लास-2 आपूर्तिकर्ता वे होते हैं, जिनके उत्पादों में स्थानीय कंटेंट 20 प्रतिशत से अधिक, लेकिन 50 प्रतिशत से कम होता है।
गोयल ने आगे कहा कि सरकार द्वारा उन संस्थाओं को मदद की जा रही है, जो भारत में पहली बार किसी प्रोडक्ट का उत्पादन कर रही हैं। सरकार की ओर से अभी 14 सेक्टरों के लिए पीएलआई स्कीम चलाई जा रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ के साथ ‘भारत ब्रांड’ भी बहुत जरूरी है। अगर कोई भी उत्पाद भारत में बन रहा है तो पूरी दुनिया में वह अपनी अच्छी क्वालिटी के लिए जाना जाए। साथ ही केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पीएलआई योजना के तहत टिकाऊ और विश्व स्तरीय गुणवत्ता वाले उत्पाद बने। इसके अलावा सभी से आग्रह किया कि भारत में बने उत्पादों को चुनें, चाहे वे थोड़े महंगे ही क्यों न हो।