N1Live National इकबाल महमूद को विभाजनकारी बयान देने से बचना चाहिए : एसपी सिंह बघेल
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इकबाल महमूद को विभाजनकारी बयान देने से बचना चाहिए : एसपी सिंह बघेल

Iqbal Mahmood should avoid giving divisive statements: SP Singh Baghel

नई दिल्ली, 3 दिसंबर । भाजपा सांसद एस.पी. सिंह बघेल ने सोमवार को आईएएनएस से बातचीत में समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक इकबाल महमूद और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती के हालिया बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। बघेल ने सपा विधायक के उस बयान की निंदा की, जिसमें उन्होंने कहा था कि मस्जिद के लिए पूरी कौम शहीद होने को तैयार है। इसके साथ ही उन्होंने महबूबा मुफ्ती के बयान कि “भारत और बांग्लादेश में कोई अंतर नहीं है” की भी आलोचना की।

इकबाल महमूद के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए एस.पी. सिंह बघेल ने कहा कि ऐसे बयान देश की एकता, अखंडता और भाईचारे को तोड़ने वाले होते हैं। विधायक महमूद को यह समझना चाहिए कि उनका काम अब संभल में कानून-व्यवस्था की बहाली, अभियुक्तों की गिरफ्तारी और साक्ष्यों के संग्रहण पर ध्यान केंद्रित करना है, न कि इस प्रकार के विभाजनकारी बयान देना। उन्होंने कहा कि इस तरह के बयानों से विधायक महमूद अपने विधानसभा क्षेत्र के मुस्लिम वोटों को एकत्रित करने और तुष्टिकरण की कोशिश कर रहे हैं, जो उनके निहित राजनीतिक हितों को साधने का एक तरीका है।

एस.पी. सिंह बघेल ने महबूबा मुफ्ती के बयान पर भी कड़ी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत और बांग्लादेश में कोई अंतर नहीं है।

बघेल ने उनके बयान को अत्यंत “विवादास्पद” और “देश विरोधी” करार दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इस मुद्दे पर लगातार निगाह बनाए हुए हैं। यह बयान देश की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ है। महबूबा मुफ्ती का बयान यह दर्शाता है कि वह पाकिस्तान के पक्ष में बोलने का कोई मौका नहीं छोड़तीं और देश की नकारात्मक छवि प्रस्तुत करती हैं। यह देश के प्रति उनकी निष्ठा पर सवाल उठाता है।

उन्होंने कहा कि महबूबा मुफ्ती के बयान से देश में एक और राजनीतिक रणनीति को बढ़ावा मिलने की आशंका है, जिसमें पाकिस्तान के साथ किसी प्रकार के गठबंधन की चर्चा हो रही है। उन्होंने कहा कि चाणक्य ने कहा था कि दुश्मन का दुश्मन हमारा मित्र होता है और महबूबा मुफ्ती शायद इसी सिद्धांत के तहत पाकिस्तान का समर्थन करती हैं।

उन्होंने आगे कहा कि देश की राजनीति में एक दुर्लभ संधि मोदी सरकार के खिलाफ बनाने की कोशिश की जा रही है। इस तरह की रणनीतियों का अंत सफल नहीं होगा और भाजपा की लोकप्रियता पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

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