न्यूयॉर्क, भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में तत्काल सुधार की मांग दोहराई है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश ने कहा कि भारत ने स्थायी सीट श्रेणी में समान भौगोलिक प्रतिनिधित्व, विशेष रूप से अफ्रीका, एशिया-प्रशांत, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन देशों को शामिल करने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा ये एक वैध और प्रभावी परिषद के लिए आवश्यक है।
इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की वर्तमान संरचना संगठन की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता को कमजोर करती है।
यूएनएससी सुधार पर अंतर-सरकारी वार्ता के पूर्ण सत्र में बुधवार को हरीश ने कहा कि मेरा प्रतिनिधिमंडल इस बात से सहमत है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का वर्तमान स्वरूप संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता के लिए हानिकारक है और इसे जल्द से जल्द संबोधित किया जाना चाहिए। हमें एक ऐसी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आवश्यकता है जो आज के नए बहुध्रुवीय विश्व को प्रतिबिंबित करे।
उन्होंने कहा कि भारत स्थायी श्रेणी में समान भौगोलिक प्रतिनिधित्व पर जोर देता है। विशेष रूप से अफ्रीका, एशिया-प्रशांत, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन जैसे क्षेत्रों को शामिल करना एक वैध और प्रभावी परिषद के लिए आवश्यक है।
हरीश ने तर्क दिया कि यह समावेश यूएनएससी को वैश्विक समुदाय का अधिक प्रतिनिधि बनाने और दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने में अधिक प्रभावी बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।
अपने वक्तव्य में हरीश ने यूएनएससी में सुधार के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जो वैश्विक गतिशीलता और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के विविध हितों को दर्शाता है।
हरीश ने सुधार प्रक्रिया पर भारत की स्थिति को भी स्पष्ट किया और आस्था या धर्म के आधार पर तथाकथित अंतर-क्षेत्रीय समूहों द्वारा किए गए दावों को खारिज करते हुए इस बात पर जोर दिया कि ऐसे कारकों को परिषद में प्रतिनिधित्व के आधार के रूप में काम नहीं करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मेरा प्रतिनिधिमंडल आस्था या धर्म के आधार पर तथाकथित अंतर-क्षेत्रीय समूहों द्वारा किए जा रहे किसी भी दावे का समर्थन नहीं करता है, जो परिषद में प्रतिनिधित्व के लिए एकमात्र आधार नहीं हो सकता है।
हरीश ने नई गैर-स्थायी सीटों के निर्माण के लिए भारत के समर्थन पर प्रकाश डाला। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस तरह का विस्तार गैर-स्थायी श्रेणी तक ही सीमित होना चाहिए। उन्होंने स्थायी श्रेणी में समान भौगोलिक प्रतिनिधित्व के महत्व पर भी जोर दिया।
भारत का सुधार प्रस्ताव यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित है कि सुरक्षा परिषद की निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में सभी क्षेत्रों की निष्पक्ष और सार्थक आवाज हो।
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