पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय से पर्यटन विभाग को भूमि हस्तांतरण पर रोक लगाने के फैसले का स्वागत किया है। ठाकुर ने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उसे अपनी जिद छोड़ देनी चाहिए और विश्वविद्यालय को केवल कृषि शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करने देना चाहिए।
ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश कृषि शिक्षक संघ के प्रति आभार व्यक्त किया, जिन्होंने सरकार के कार्यों के विरुद्ध कानूनी रास्ता अपनाया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय, जिसके पास मूल रूप से 400 हेक्टेयर भूमि थी, ने पहले ही सरकार को 125 हेक्टेयर भूमि आवंटित कर दी है, जिससे इसके संचालन के लिए केवल 275 हेक्टेयर भूमि ही बची है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शेष भूमि व्यापक कृषि अनुसंधान और प्रशिक्षण के संचालन के लिए अपर्याप्त है, जबकि वैश्विक कृषि संस्थानों के पास विशाल भूमि है।
ठाकुर ने पर्यटन गांव बनाने की सरकार की योजना को स्वीकार किया, तथा इस बात पर जोर दिया कि ऐसी पहलों से कृषि संस्थानों की उत्पादकता में बाधा नहीं आनी चाहिए।