अजमेर (राजस्थान), 22 अगस्त । अजमेर दरगाह में खादिमों की अंजुमन सैयद जादगान कमेटी ने वक्फ बोर्ड संशोधन एक्ट का विरोध किया है। अंजुमन सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने गुरुवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि सरकार वक्फ संशोधन बिल लाकर मुसलमानों की संपत्ति छीनना चाहती है।
अजमेर के ख्वाजा गरीब नवाज हजरत ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती दरगाह के दीवान सैयद जेनुअल आबेदीन के बेटे सैयद नसीरुद्दीन पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वह मुस्लिम विरोधी सभी कानूनों का समर्थन करते हैं। दरगाह में सैयद नसीरुद्दीन की कोई हैसियत भी नहीं है। धार्मिक उद्देश्यों के लिए दान वक्फ के जरिए किया जाता है। हम इसमें किसी गैर मुस्लिम का हस्तक्षेप नहीं चाहते। खास तौर पर जिला कलेक्टर का भी इसमें कोई अधिकार नहीं होना चाहिए।
वक्फ संशोधन विधेयक से होने वाले नुकसान के बारे में उन्होंने कहा कि पिछले दस सालों से मुस्लिम विरोधी सभी कानून लाए जा रहे हैं। यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि वक्फ ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया है, जबकि हकीकत यह है कि वक्फ की जमीन पर बहुत सारे सरकारी दफ्तर हैं और उससे मिलने वाला किराया भी बहुत कम है। वक्फ की जमीन से देश को चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्र में फायदा होगा। हम सबसे पहले भारतीय हैं। हमने हमेशा गंगा-जमुनी तहजीब को बढ़ावा दिया है। कारगिल युद्ध हो या चीन युद्ध, हमने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है।
उन्होंने कहा, “क्या किसी गैर मुस्लिम समुदाय के संगठन में ऐसा हो सकता है, अगर नहीं तो हमारे यहां ऐसा क्यों हो रहा है। अगर किसी धर्म के समुदाय में ऐसा कोई प्रावधान है भी तो मैं ऐसा नहीं होने दूंगा।”
आईएएनएस के साथ खास बातचीत करते हुए अल्पसंख्यक मामलों के पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने इन तमाम सवालों पर खुल कर अपनी बात कहते हुए कहा था कि संशोधन वक्त और वक्फ दोनों की जरूरत है और जेपीसी की बैठकों में इस पर खुले दिल से विचार होगा।
मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि वह तो पहले ही कह चुके हैं कि इस पूरी व्यवस्था (वक्फ बोर्ड की) को ‘टच मी नॉट’ की सनक, सियासत और सोच से बाहर निकलना होगा। वक्फ व्यवस्था को ज्यादा बेहतर बनाने के लिए ही सरकार यह विधेयक लेकर आई है।
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