कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर एक बार फिर तीखा हमला बोला है। इस बार उनका निशाना अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हस्ताक्षरित नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन एक्ट (एनडीएए) 2026 और भारत में हाल ही में पारित शांति विधेयक पर है।
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में अमेरिका के वित्तीय वर्ष 2026 के लिए नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन एक्ट पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। यह कानून करीब 3,100 पन्नों का है और इसके पेज नंबर 1,912 पर अमेरिका और भारत के बीच न्यूक्लियर लाइबिलिटी नियमों को लेकर संयुक्त आकलन का उल्लेख किया गया है।
उन्होंने दावा किया कि अब यह साफ हो गया है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इसी सप्ताह संसद में जल्दबाजी में शांति बिल क्यों पारित कराया। जयराम रमेश के अनुसार, इस विधेयक के जरिए सिविल लाइबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट, 2010 के कई अहम प्रावधानों को हटा दिया गया है, जबकि यह कानून उस समय संसद ने सर्वसम्मति से पास किया था।
कांग्रेस नेता का आरोप है कि शांति बिल को संसद में पारित कराने का मकसद अमेरिका के साथ न्यूक्लियर सहयोग को लेकर पुराने रिश्तों को दोबारा मजबूत करना था। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यह कदम प्रधानमंत्री मोदी और उनके कभी अच्छे दोस्त रहे ट्रंप के रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने के लिए उठाया गया है।
जयराम रमेश ने शांति कानून का नाम बदलकर इसे ‘ट्रंप एक्ट’ कहने की बात भी कही। उन्होंने व्यंग्यात्मक अंदाज में कहा कि शांति का पूरा नाम अब ‘रिएक्टर उपयोग और प्रबंधन वादा अधिनियम (ट्रंप अधिनियम)’ होना चाहिए। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि न्यूक्लियर दायित्व से जुड़े प्रावधानों में बदलाव से भारत की जवाबदेही और सुरक्षा ढांचे पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। सरकार ने बिना पर्याप्त बहस और पारदर्शिता के यह फैसला किया जो राष्ट्रीय हितों के लिहाज से चिंताजनक है।
कांग्रेस नेता ने अमेरिका के आधिकारिक दस्तावेज का लिंक भी साझा किया और कहा कि अब तथ्यों के आधार पर यह साफ है कि शांति बिल के पीछे अंतरराष्ट्रीय दबाव और समझौते की भूमिका रही है।

