N1Live National जामताड़ा : अज्ञात बीमारी से जनजाति समुदाय के 8 लोगों की मौत, बाबूलाल मरांडी ने सीएम को लिखा पत्र
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जामताड़ा : अज्ञात बीमारी से जनजाति समुदाय के 8 लोगों की मौत, बाबूलाल मरांडी ने सीएम को लिखा पत्र

Jamtara: 8 people of tribal community died due to unknown disease, Babulal Marandi wrote a letter to CM

रांची, 11 सितंबर । झारखंड के जामताड़ा जिले के नेंगराटांड गांव में फैली अज्ञात बीमारी से 22 दिनों के अंदर आदिम पहाड़िया जनजाति के आठ लोगों की मौत हो गई है, जबकि अब भी गांव में 10 से ज्यादा लोग बीमार हैं।

अस्पतालों में मरीजों को समय पर इलाज न मिलने से आदिवासी समुदाय के लोगों की मौत की कुछ अन्य घटनाएं सामने आई हैं। इन घटनाओं को लेकर झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है।

बाबूलाल मरांडी ने इस संबंध में सीएम हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर इन घटनाओं की उच्चस्तरीय जांच कराने की भी मांग की है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “झारखंड में आदिवासी समाज के भाइयों-बहनों को इलाज न मिल पाने के कारण तड़प-तड़प कर मरते देखना असहनीय है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने आदिवासी समाज से मुंह फेर लिया है। जिस आदिवासी समाज ने अपना समर्थन देकर हेमंत को सत्ता तक पहुंचाया, आज वही हेमंत सोरेन राजनीतिक समीकरण के जोड़ तोड़ में आदिवासियों की बलि चढ़ा रहे हैं।”

उन्होंने सीएम को लिखे पत्र में हाल की घटनाओं का जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि हाल में साहिबगंज सदर अस्पताल में सिमरिया गांव निवासी आदिम पहाड़िया जनजाति के मथियम मालतो अपनी छह साल की बेटी गोमती पहाड़िन के इलाज के लिए पहुंचे थे। वह डॉक्टरों की तलाश में इमरजेंसी से लेकर ओपीडी तक भागते रहे, परंतु कहीं भी डॉक्टर नहीं मिले, जिसके कारण पिता की गोद में ही बच्ची ने दम तोड़ दिया।

ऐसी ही घटना दुमका जिले के गोपीकांदर प्रखंड के कुंडा पहाड़ी गांव में हुई, जहां पहाड़िया जनजाति की 19 वर्षीय गर्भवती महिला प्रिंसिका महारानी समय पर एंबुलेंस न मिलने से अस्पताल नहीं पहुंच पाई और इलाज के अभाव में उसकी जान चली गई। इसी तरह जामताड़ा जिले के करमाटांड़ प्रखंड के नेंगराटांड गांव में इलाज के अभाव में आदिम पहाड़िया जनजाति के आठ लोगों की मौत हो गई है।

बाबूलाल मरांडी ने पत्र में कहा है कि आदिम पहाड़िया जनजाति पहले ही अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रही है। आए दिन ज्ञात-अज्ञात बीमारियों से इस जनजाति के लोगों की जान जा रही है। आदिवासी समाज के ऊपर आई इस विपत्ति की घड़ी में भी राज्य सरकार की ओर से बेहतर इलाज और बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंधन करने की कोई पहल नहीं की गई है।

उन्होंने लिखा कि झारखंड का स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह लूट-खसोट में लिप्त है और पैसे लेकर डॉक्टरों को मनचाही पोस्टिंग देकर स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित कर रही है। दूर-दराज के स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टरों का पदस्थापन नहीं रहने के कारण मरीज इलाज नहीं करा पा रहे हैं।

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