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झारखंड के राज्यपाल ने हूल विद्रोह के नायक चानकू महतो की प्रतिमा का किया अनावरण

Jharkhand Governor unveiled the statue of Chanku Mahto, the hero of the Hul rebellion

झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने गुरुवार को पूर्वी सिंहभूम जिलान्तर्गत चाकुलिया प्रखंड के भालुकबिंधा ग्राम में 1856 की हूल क्रांति के नायक चानकू महतो की प्रतिमा का अनावरण किया।

इस अवसर पर उन्होंने वीर शहीद चानकू महतो के साहस और बलिदान को नमन करते हुए कहा कि यह प्रतिमा केवल एक स्मारक नहीं, बल्कि इतिहास की जीवंत स्मृति है, जो आने वाली पीढ़ियों को देशभक्ति की प्रेरणा देती रहेगी।

राज्यपाल ने कहा कि चानकू महतो ने संथाल परगना में किसानों और रैयतों पर अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचार के खिलाफ ‘आपोन माटी, आपोन दाना, पेट काटी निही देब खजाना।’ (यह हमारी अपनी मिट्टी है, यहां हम दाना उपजाते हैं, हम अपना पेट काटकर अंग्रेजों को लगान नहीं देंगे) का नारा दिया था। उन्होंने अपने साथियों और किसानों के साथ मिलकर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ बड़ी क्रांति की ज्वाला जलाई। हूल क्रांति के सबसे बड़े नायक सिदो-कान्हू के साथ मिलकर उन्होंने एक-एक गांव में जनचेतना फैलाई। इसके बदले उन्हें अपनी शहादत देनी पड़ी।

राज्यपाल ने ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत को संजोने की आवश्यकता पर बल देते हुए विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं से आह्वान किया कि वे इन महापुरुषों के गांवों में जाकर शोध करें और उनके योगदान को इतिहास में उचित स्थान दिलाने का प्रयास करें।

उन्होंने वीर शहीद चानकू महतो स्मारक समिति को इस सराहनीय पहल के लिए बधाई दी और कहा कि यह प्रतिमा आने वाली पीढ़ियों को राष्ट्रप्रेम की प्रेरणा देती रहेगी।

राज्यपाल संतोष गंगवार ने पहलगाम में आतंकी हमले के खिलाफ भारतीय सेना के पराक्रम और शौर्य का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि इस आतंकी हमले के जिम्मेदार आतंकियों और साजिशकर्ताओं को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा दी जाएगी। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारत की सेनाओं ने पाकिस्तान में आतंक के ठिकानों पर, उनके ट्रेनिंग सेंटर्स पर सटीक प्रहार किया।

उन्होंने कहा कि यह नया भारत है। यह भारत शांति चाहता है, लेकिन अगर मानवता पर हमला होता है, तो भारत युद्ध के मैदान में दुश्मन को कुचलना भी जानता है। हमारा देश किसी को छेड़ता नहीं है, लेकिन अगर कोई हमें छेड़े, तो हम उसे छोड़ते भी नहीं हैं।

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