June 16, 2025
National

झारखंड में पांच साल से ठप है राज्य सूचना आयोग, 25 हजार मामले लंबित

Jharkhand State Information Commission is non-functional for five years, 25 thousand cases are pending

झारखंड में राज्य सूचना आयोग का कामकाज पांच साल से पूरी तरह ठप पड़ा है। मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के सभी पद खाली पड़े हैं। ‘सूचना का अधिकार’ कानून के तहत 25 हजार से अधिक अपील और शिकायत वाद के मामले आयोग के समक्ष लंबित पड़े हैं।

राजधानी रांची में रविवार को जुटे राज्य भर के आरटीआई कार्यकर्ताओं ने इस पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने रिक्त पदों पर जल्द नियुक्ति और राज्य सरकार से जल्द से जल्द इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने की मांग की। सूचना का अधिकार अधिनियम के 20 वर्ष पूरे होने पर रांची प्रेस क्लब में आयोजित इस कार्यक्रम में राज्य के पूर्व सूचना आयुक्त हिमांशु शेखर चौधरी मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहे।

उन्होंने कहा कि सूचना का अधिकार प्रशासनिक तंत्र में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने का कारगर माध्यम है। जरूरी है कि इस अधिकार को लेकर लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक किया जाए। उन्होंने कहा कि यह भी देखना जरूरी है कि सूचना का अधिकार कानून का दुरुपयोग व्यक्तिगत तौर पर किसी को टारगेट करने के लिए न किया जाए।

आरटीआई कार्यकर्ता और रिसोर्स पर्सन दीपेश निराला ने कहा कि झारखंड में 8 मई 2020 के बाद से ही राज्य सूचना आयोग में न तो मुख्य सूचना आयुक्त हैं और न ही कोई आयुक्त। ऐसे में जिन मूल भावनाओं के साथ आरटीआई का अधिनियम आया था, उनका राज्य में अनुपालन नहीं हो पा रहा है। सूचनाओं को रोकने और दबाने की प्रशासनिक तंत्र के मंसूबों पर कोई अंकुश नहीं लग पा रहा है।

उन्होंने कहा कि झारखंड में पूर्व में सूचना अधिकार आवेदनों के जरिए भ्रष्टाचार और प्रशासनिक तंत्र में गड़बड़ी के कई मामले उजागर हुए थे। अब तो आलम यह है कि विभिन्न विभागों के जन सूचना पदाधिकारी पूर्ण सूचना नहीं दे रहे हैं और प्रथम अपीलीय प्राधिकारी भी सूचना नहीं दिलवा पा रहे हैं। द्वितीय अपील और शिकायत वाद के दरवाजे राज्य में बंद हैं।

कार्यक्रम के दौरान प्रस्ताव पारित किया गया कि मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति की मांग को लेकर आरटीआई कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री और राज्य विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष से मिलेगा और उन्हें इस संबंध में ज्ञापन सौंपेगा। यह भी मांग की जाएगी कि इन पदों पर नियुक्ति में भूतपूर्व प्रशासनिक पदाधिकारियों को दूर रखा जाए, क्योंकि उनके अधीनस्थ और उनके साथ कार्यरत रहे लोग ही विभिन्न विभागों में जन सूचना पदाधिकारी और प्रथम अपीलीय प्राधिकारी बने हुए हैं। कार्यक्रम में राज्य के 24 में से 19 जिलों से आए सूचना अधिकार कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इनमें विनोद जैन बेगवानी, रेणुका तिवारी, हरीश नागपाल, राजकुमार, उमा शंकर सिंह, संतोष मृदुला, स्वरूप कुमार सेठी, शाहिद आलम, सुशील शर्मा, राजकुमार उपाध्याय, पवन कुमार केसरी और अन्य प्रमुख रहे।

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