लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के चीन पर दिए गए बयान पर सुप्रीम कोर्ट के जज दीपंकर दत्ता की टिप्पणी के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यह न्यायपालिका का क्षेत्राधिकार नहीं है।
कांग्रेस सांसद विरियाटो फर्नांडीस ने आईएएनएस से कहा, “मैं एक सैन्य पृष्ठभूमि से आता हूं, भारतीय नौसेना में सेवा दे चुका हूं और अब दक्षिण गोवा का प्रतिनिधित्व करता हूं। सुप्रीम कोर्ट के प्रति पूरे सम्मान के साथ, मैं कहना चाहता हूं कि सेना सीमा पर 24 घंटे, सातों दिन निगरानी के लिए सैटेलाइट इमेजिंग का इस्तेमाल करती है। मेरा मानना है कि मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीशों को सेना से जानकारी मांगनी चाहिए थी कि राहुल गांधी का बयान सही है या नहीं। अगर विपक्ष के नेता कोई बयान दे रहे हैं, तो इसे एक जिम्मेदाराना बयान माना जाना चाहिए। ऐसी टिप्पणी करने से पहले सीमा की वास्तविक स्थिति सभी को पता होनी चाहिए थी।”
वहीं, कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने आईएएनएस से कहा, “न्यायालय ने राहुल गांधी को लेकर जो टिप्पणी की है, वह पूरी तरह अनुचित है। यह उनका क्षेत्राधिकार नहीं है। संसद, न्यायपालिका और चुनाव आयोग, ये सभी स्वतंत्र संस्थाएं हैं। मैं सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करता हूं, लेकिन न्यायाधीश को संविधान की सीमाओं में रहकर बोलना चाहिए। वह कोई राजनीतिक टिप्पणी नहीं कर सकते।”
उन्होंने कहा, “जब वे मुंबई हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस थे, तब भी उन्होंने सावरकर को लेकर राहुल गांधी के बयान पर टिप्पणी की थी। सवाल ये है कि क्या वे संविधान के तहत काम कर रहे हैं या फिर किसी खास विचारधारा, जैसे आरएसएस की सोच से प्रभावित हैं? यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। मैं माननीय सीजेआई से आग्रह करता हूं कि उन्हें तलब करें। उन्हें संविधान दोबारा पढ़ने की जरूरत है।”
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