किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक करने के उद्देश्य से कैथल पुलिस ने जिले भर में एक अभियान शुरू किया है। पुलिस ने पराली जलाने पर रोक लगाने और वायु प्रदूषण को रोकने के लिए एक अभियान शुरू किया है।
पुलिस की टीमें गाँवों और खेतों का दौरा कर किसानों से सीधे बातचीत कर रही हैं और उन्हें पर्यावरण और जन स्वास्थ्य पर पराली जलाने के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूक कर रही हैं। एसपी उपासना ने बताया कि कटाई के बाद धान के अवशेष जलाने से वायु प्रदूषण में भारी वृद्धि हुई है, जिसका न केवल मानव स्वास्थ्य पर बल्कि पशुओं और पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
उन्होंने बताया कि पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरता कम होती है और ज़मीन की समग्र गुणवत्ता ख़राब होती है। एसपी ने किसानों से सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) और फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनों का अधिकतम उपयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने आगे कहा, “इन मशीनों की मदद से फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाया जा सकता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है, न कि उसे नुकसान पहुँचता है।”
एसपी ने किसानों को बताया कि पराली जलाना न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि कानूनन दंडनीय अपराध भी है। ज़िला प्रशासन और पुलिस पराली जलाने की कोशिश करने वालों पर कड़ी नज़र रख रही है। उन्होंने किसानों से वैज्ञानिक तरीकों से पराली का निपटान करने और स्वच्छ व प्रदूषण मुक्त पर्यावरण बनाए रखने में योगदान देने की अपील की।
उन्होंने बताया कि सभी डीएसपी, एसएचओ और पुलिस टीमें गाँवों का दौरा कर रही हैं, बैठकें कर रही हैं और किसानों को पराली जलाने के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक कर रही हैं। टीमें किसानों को बता रही हैं कि पराली जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है और सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ता है।


Leave feedback about this