February 11, 2025
Uttar Pradesh

माघ पूर्णिमा पर संगम स्नान के साथ पूरा होगा महाकुंभ का कल्पवास

Kalpavas of Mahakumbh will be completed with Sangam bath on Magh Purnima

महाकुंभ नगर, 11 फरवरी । महाकुंभ में व्रत, संयम और सत्संग का कल्पवास करने का विशिष्ट विधान है। इस वर्ष महाकुंभ में 10 लाख से अधिक लोगों ने विधिपूर्वक कल्पवास किया है। पौराणिक मान्यता है कि माघ मास पर्यंत प्रयागराज में संगम तट पर कल्पवास करने से सहस्त्र वर्षों के तप का फल मिलता है।

महाकुंभ में कल्पवास करना विशेष फलदायी माना जाता है। परंपरा के अनुसार 12 फरवरी, माघ पूर्णिमा के दिन कल्पवास की समाप्ति हो रही है। सभी कल्पवासी विधिपूर्वक पूर्णिमा तिथि पर पवित्र संगम में स्नान कर कल्पवास का पारण करेंगे। पूजन और दान के बाद कल्पवासी अपने अस्थाई आवास त्याग कर पुनः अपने घरों की ओर लौटेंगे।

आस्था और अध्यात्म के महापर्व, महाकुंभ में कल्पवास करना विशेष फलदायी माना जाता है। इस वर्ष महाकुंभ में देश के कोने-कोने से आए लोग संगम तट पर कल्पवास कर रहे हैं। शास्त्रों के अनुसार कल्पवास की समाप्ति 12 फरवरी, माघ पूर्णिमा के दिन होगी। पद्मपुराण के अनुसार पौष पूर्णिमा से माघ पूर्णिमा तक एक माह संगम तट पर व्रत और संयम का पालन करते हुए सत्संग का विधान है। कुछ लोग पौष माह की एकादशी से माघ माह में द्वादशी के दिन तक भी कल्पवास करते हैं।

12 फरवरी के दिन कल्पवासी पवित्र संगम में स्नान कर कल्पवास के व्रत का पारण करेंगे। पद्मपुराण में भगवान दत्तात्रेय के बनाए नियमों के अनुसार कल्पवास का पारण किया जाता है। कल्पवासी संगम स्नान कर अपने तीर्थपुरोहितों से नियम अनुसार पूजन कर कल्पवास व्रत पूरा करेंगे।

शास्त्रों के अनुसार कल्पवासी माघ पूर्णिमा के दिन संगम स्नान कर व्रत रखते हैं। इसके बाद अपने कल्पवास की कुटीरों में आकर सत्यनारायण कथा सुनने और हवन पूजन करने का विधान है। कल्पवास का संकल्प पूरा कर कल्पवासी अपने तीर्थपुरोहितों को यथाशक्ति दान करते हैं। साथ ही कल्पवास के प्रारंभ में बोए गए जौं को गंगा जी में विसर्जित करेंगे और तुलसी जी के पौधे को साथ घर ले जाएंगे। तुलसी जी के पौधे को सनातन परंपरा में मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है। महाकुंभ में बारह वर्ष तक नियमित कल्पवास करने का चक्र पूरा होता है। यहां से लौटकर गांव में भोज कराने का विधान, इसके बाद ही कल्पवास पूर्ण माना जाता है।

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