N1Live Uttar Pradesh कानपुर: बांदीपोरा में शहीद हुए जवान का देर रात गांव पहुंचेगा पार्थिव शरीर, परिजन बदहवास
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कानपुर: बांदीपोरा में शहीद हुए जवान का देर रात गांव पहुंचेगा पार्थिव शरीर, परिजन बदहवास

Kanpur: The mortal remains of the soldier martyred in Bandipora will reach the village late at night, the family is distraught.

कानपुर, 6 जनवरी । जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा जिले में शनिवार को सेना का ट्रक खाई में गिर गया था। इस हादसे में सेना के चार जवान शहीद हो गए थे। शहीद जवानों में उत्तर प्रदेश में कानपुर के निवासी पवन यादव भी शामिल थे।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पवन यादव कानपुर में शिवराजपुर क्षेत्र के दुर्गापुर गांव के रहने वाले थे। सेना के जवान पवन यादव के शहीद होने की सूचना मिलते ही पत्नी समेत अन्य परिजनों में चीख-पुकार मच गई। गांव के लोग भी शोक में डूब गए। आज रात शहीद जवान का पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंचेगा। सोमवार को अंतिम संस्कार किया जाएगा।

जवान के शहीद होने की सूचना मिलने पर आसपास के सभी समाजसेवी व जनप्रतिनिधि परिजनों का सांत्वना देने उनके घर पहुंच गए। जिला प्रशासन व पुलिस भी शहीद के परिवार को सांत्वना देने के लिए मौके पर मौजूद हैं।

पवन यादव जम्मू-कश्मीर में तैनात थे। इससे पहले वह प्रयागराज में तैनात थे। पवन की पत्नी सुषमा तथा उनके दो बच्चे तेजस और तनवी प्रयागराज में ही रहते हैं। पवन के दो भाई पारस और नीलेंद्र यादव हैं, जो परिवार समेत मां गोमती और पिता सतेंद्र के साथ गांव में ही रहते हैं।

बता दें कि शनिवार को बांदीपोरा जिले में एक सैन्य ट्रक सड़क से फिसलकर खाई में गिर गया था। इस हादसे में भारतीय सेना के चार जवानों की जान चली गई थी, जबकि तीन अन्य जवान घायल हो गए थे। हादसे के बाद स्थानीय निवासियों को मदद से घायलों को बाहर निकाला गया। सूचना पर आपातकालीन सेवाएं तत्काल मौके पर पहुंची और घायलों को इलाज के लिए पास के अस्पताल पहुंचाया गया था।

पनव के अलावा शहीद जवानों में हवलदार हरि राम रेवर, लांस नायक जितेंद्र कुमार यादव और लांस नायक नीतीश कुमार भी शामिल थे। चिनार कॉर्प्स ने रविवार को सभी शहीद जवानों की श्रद्धांजलि अर्पित की।

बांदीपोरा में सेना का वाहन खराब मौसम और शून्य दृश्यता के कारण फिसल कर खाई में गिर गया था। हादसे में शुरुआत में दो जवानों की शहादत की खबर आई थी, जो बाद में बढ़कर चार हो। हादसा उस वक्त हुआ था, जब सेना का वाहन नियमित कार्य पर था। उसी दौरान फिसलन और दृश्यता में कमी के कारण चालक का वाहन पर से नियंत्रण खत्म हो गया और वाहन गहरी खाई में जा गिरा था।

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