करनाल, 22 अगस्त करनाल विधानसभा क्षेत्र पिछले 10 सालों से ‘सीएम सिटी’ का तमगा रखता आ रहा है। वर्तमान में इस सीट का प्रतिनिधित्व मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी करते हैं। इससे पहले यह सीट पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के पास थी।
एक महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र होने के बावजूद, कांग्रेस को पिछले तीन चुनावों में करनाल में जीत हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ा है, जिसमें पिछले 10 वर्षों में एक उपचुनाव भी शामिल है। अपनी स्थापना के बाद से, करनाल विधानसभा क्षेत्र ने एक अलग राजनीतिक रुझान देखा है।
अब तक हुए 16 चुनावों में से, जिसमें एक उपचुनाव भी शामिल है, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस दोनों ने ही पांच-पांच बार यह सीट जीती है। भारतीय जनसंघ और निर्दलीय उम्मीदवारों ने दो-दो बार यह सीट जीती है, जबकि जनता पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने एक-एक बार यह सीट जीती है।
हरियाणा के अलग राज्य बनने से पहले करनाल विधानसभा क्षेत्र मूलतः संयुक्त पंजाब का हिस्सा था। 1957 में कांग्रेस के अर्जुन अरोड़ा ने चुनाव जीता, जबकि 1962 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के सरदार माधो सिंह ने सीट जीती, 1967 में भारतीय जनसंघ के राम लाल विजयी हुए।
इसके बाद 1968 में स्वतंत्र उम्मीदवार शांति प्रसाद ने चुनाव जीता, जबकि राम लाल ने 1972 और 1977 में क्रमशः भारतीय जनसंघ और जनता पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की।
1982 में कांग्रेस ने 25 साल के लम्बे अंतराल के बाद शांति देवी के नेतृत्व में यह सीट जीती। 1987 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पहली बार यह सीट जीती, क्योंकि इसके उम्मीदवार लक्ष्मण दास ने जीत हासिल की, लेकिन अगले चुनाव 1991 में कांग्रेस उम्मीदवार जय प्रकाश ने यह सीट जीत ली।
1996 में भाजपा ने अपने उम्मीदवार शशिपाल मेहता के साथ फिर से सीट जीती, जबकि 2000 में जय प्रकाश निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विजयी हुए। 2005 और 2009 में कांग्रेस उम्मीदवार सुमिता सिंह ने जीत हासिल की।
2014 और 2019 में भाजपा उम्मीदवार मनोहर लाल खट्टर ने इस सीट पर जीत हासिल की थी, लेकिन 12 मई 2024 को उनके सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद इस साल 25 मई को यहां उपचुनाव कराया गया, जिसमें भाजपा उम्मीदवार नायब सिंह सैनी ने जीत हासिल की।
भाजपा सूत्रों ने बताया कि यदि सीएम नायब सिंह सैनी करनाल सीट से चुनाव नहीं लड़ते हैं तो इस सीट से टिकट चाहने वालों की लंबी सूची है, जिसमें पूर्व मेयर रेणु बाला गुप्ता, पूर्व जिला पार्टी अध्यक्ष अशोक सुखीजा, पूर्व सीएम के पूर्व मीडिया समन्वयक जगमोहन आनंद आदि शामिल हैं।
कांग्रेस में भी टिकट चाहने वालों की लंबी सूची है, क्योंकि 23 नेताओं ने टिकट के लिए आवेदन किया है। कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष सुरेश गुप्ता, पूर्व विधायक सुमिता सिंह विर्क, हरियाणा अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष त्रिलोचन सिंह, करनाल के पूर्व डिप्टी मेयर मनोज वाधवा, पूर्व एआईसीसी समन्वयक पराग गाबा, ओम प्रकाश सलूजा, रमेश सैनी, संजय कुमार चंदेल, अशोक खुराना, ललित अरोड़ा, रानी कंबोज और गुरविंदर कौर उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने करनाल विधानसभा क्षेत्र से टिकट मांगा है।
करनाल में अपनी खोई जमीन वापस पाने के लिए कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता कड़ी मेहनत कर रहे हैं और पार्टी के राज्य अभियान ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ की तर्ज पर ‘करनाल मांगे हिसाब’ अभियान की शुरुआत कर चुके हैं। नेता भाजपा की कथित विफलता को उजागर करने के लिए लोगों से संपर्क कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर भाजपा का कैडर भी लोगों से जुड़कर पार्टी की उपलब्धियों को उजागर कर रहा है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह चुनाव दोनों ही राजनीतिक दलों भाजपा और कांग्रेस के लिए अहम होगा। लाडवा के इंदिरा गांधी नेशनल कॉलेज के प्रिंसिपल और राजनीति के जानकार डॉ. कुशल पाल कहते हैं, “भाजपा सीट और वोटरों पर अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश करेगी, जबकि कांग्रेस अपना आधार फिर से हासिल करने की कोशिश करेगी। सीएम नायब सिंह सैनी ने सत्ता विरोधी लहर को थामने के लिए कई घोषणाएं की हैं, लेकिन भाजपा को अभी भी कड़ी मेहनत करनी होगी। कांग्रेस के लिए भी यह आसान नहीं है, उसे अपनी अंदरूनी लड़ाई पर लगाम लगानी होगी।”
Leave feedback about this