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करनाल डेयरी अनुसंधान संस्थान ने विश्व दुग्ध दिवस मनाया

Karnal Dairy Research Institute celebrated World Milk Day

आईसीएआर-राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई), करनाल ने रविवार को अपने परिसर में विश्व दुग्ध दिवस-2025 मनाया।

“आइए डेयरी की शक्ति का जश्न मनाएं” थीम वाले इस कार्यक्रम में दूध के पोषण संबंधी लाभों तथा डेयरी क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय महत्व को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आईसीएआर-अटारी, जोधपुर के निदेशक डॉ. जेपी मिश्रा ने भारत के डेयरी क्षेत्र के विकास में एनडीआरआई की भूमिका की सराहना की।

उन्होंने कहा कि उत्कृष्ट नस्ल विकास, पशु क्लोनिंग और नवीन मूल्यवर्धित उत्पाद, विस्तार पद्धतियां और मिलावट का पता लगाने वाली किटें तथा अन्य हितधारक केन्द्रित प्रौद्योगिकियों/पद्धतियों के संदर्भ में एनडीआरआई का योगदान किसानों की आय बढ़ाने और इस प्रकार भारतीय अर्थव्यवस्था में डेयरी क्षेत्र के योगदान को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।

आईसीएआर-एनडीआरआई के निदेशक एवं कुलपति डॉ. धीर सिंह ने कहा कि स्वतंत्रता के शुरुआती दौर में दूध की कमी वाला देश भारत, आज दुनिया में सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बन गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय डेयरी क्षेत्र में लगभग 450 मिलियन छोटे और सीमांत किसान शामिल हैं तथा भारत के सकल घरेलू उत्पाद में डेयरी और पशुपालन क्षेत्र का योगदान 4.5 प्रतिशत है।

कृषि क्षेत्र में डेयरी क्षेत्र का योगदान 24 प्रतिशत था – जिसका मूल्य लगभग 10 लाख करोड़ रुपये था, जो विश्व में सर्वाधिक है। उन्होंने कहा कि एनडीआरआई ने गुणवत्तापूर्ण जर्मप्लाज्म, उत्कृष्ट नस्लों, कुशल मानव शक्ति, बहुमूल्य अंतर्दृष्टि और समय पर इनपुट प्रदान करके देश की श्वेत क्रांति में सहयोग दिया है।

उन्होंने कहा कि इन सामूहिक प्रयासों के कारण ही भारत 1998 से विश्व में सबसे बड़ा दूध उत्पादक बना हुआ है। वर्तमान में भारत में वार्षिक दूध उत्पादन 239 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) है, तथा प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 471 ग्राम प्रतिदिन है। उन्होंने कहा कि भारत में दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता विश्व की औसत प्रति व्यक्ति उपलब्धता 322 ग्राम प्रतिदिन से अधिक है।

उन्होंने कहा कि एक अनुमान के अनुसार, देश में दूध और दूध उत्पादों की मांग को पूरा करने के लिए भारत को 2033 तक प्रतिवर्ष 330 एमएमटी दूध का उत्पादन करने की आवश्यकता होगी।

उन्होंने कहा, “हाल के दशक में दूध उत्पादन में औसतन 6.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हालांकि, 330 एमएमटी का लक्ष्य हासिल करने के लिए हमें कम से कम 14 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर हासिल करनी होगी, लेकिन चारे की बढ़ती लागत, घटती कृषि भूमि और उभरती बीमारियों जैसी बाधाएं लक्ष्य के लिए खतरा हैं।”

दैनिक जीवन, स्थिरता और राष्ट्रीय विकास में दूध और डेयरी के महत्व को रचनात्मक रूप से व्यक्त करने के लिए छात्रों के लिए प्रतियोगिताओं की एक श्रृंखला आयोजित की गई।

इनमें “भारतीय डेयरी उद्योग का विकास” विषय पर कोलाज-निर्माण प्रतियोगिता और “शून्य अपशिष्ट डेयरी: नवाचार और स्थिरता” विषय पर चित्रकला प्रतियोगिता शामिल थी।

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