बेंगलुरु, 16 अगस्त । कर्नाटक सरकार की ओर से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और पीएनबी खाते बंद करने के फैसले पर सियासत जारी है। राज्यसभा सांसद लहर सिंह सिरोया ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं।
राज्यसभा सांसद लहर सिंह सिरोया ने कर्नाटक सरकार के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) और पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के साथ सभी विभागों के खाते बंद करने के फैसले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह फैसला मनमाना और संदिग्ध लगता है। उन्होंने एक प्रेस बयान जारी कर कहा कि मैंने अखबारों में पढ़ा कि कर्नाटक सरकार ने सभी विभागों को एसबीआई और पीएनबी में अपने खाते बंद करने और जमा राशि वापस लेने का निर्देश दिया है। यह फैसला कथित तौर पर फंड की अनियमितता के कारण लिया गया है।
उन्होंने कहा कि यह फैसला विशेष रूप से संदिग्ध लगता है, खासकर जब महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम घोटाले के बाद आया है, जिसमें एक राष्ट्रीयकृत बैंक के माध्यम से लगभग 187 करोड़ रुपये अवैध रूप से हस्तांतरित किए गए थे। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि क्या एक राज्य सरकार दो राष्ट्रीयकृत बैंकों के खिलाफ एकपक्षीय फैसला ले सकती है? क्या सभी बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के नियमों और विनियमों से शासित नहीं हैं?”
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस की नेतृत्व वाली राज्य सरकार जानबूझकर हमारे बैंकिंग प्रणाली के बारे में संदेह पैदा करने की कोशिश कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रीय विकास में हाल के वर्षों में राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा निभाई गई शानदार भूमिका के बारे में बात की। उन्होंने बैंकों की सेहत के बारे में भी बात की।
उन्होंने आगे कहा कि कर्नाटक सरकार की कार्रवाई राहुल गांधी के हालिया बयानों से मेल खाती है, जो संदेह पैदा करती है और यह हमारी आर्थिक प्रणाली को अस्थिर करने की कोशिश है। मैं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से अनुरोध करता हूं कि वह इस पर ध्यान दें।
बता दें कि कर्नाटक सरकार ने हाल ही में अपने सभी विभागों को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और पंजाब नेशनल बैंक के साथ सभी लेन-देन निलंबित करने का आदेश दिया है। वित्त विभाग ने सभी राज्य विभागों को इन बैंकों में अपने खाते बंद करने और अपनी जमा राशि तुरंत निकालने का निर्देश दिया है। कर्नाटक सरकार के वित्त सचिव पी.सी. जाफर द्वारा हस्ताक्षरित इस आदेश में कहा गया है कि राज्य सरकार के विभागों, सार्वजनिक उद्यमों, निगमों, स्थानीय निकायों, विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों द्वारा भारतीय स्टेट बैंक और पंजाब नेशनल बैंक में रखे गए खातों को तत्काल समाप्त किया जाना चाहिए। इसके अलावा, इन बैंकों में कोई और जमा या निवेश नहीं किया जाना चाहिए। यह आदेश सरकारी धन के दुरुपयोग और अवैध लेन-देन के आरोपों के बीच आया है।
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