November 23, 2024
National

दूषित पानी से मौतों के मामले में कर्नाटक लोकायुक्त ने शीर्ष अधिकारियों को किया तलब

बेंगलुरु,  कर्नाटक लोकायुक्त ने दूषित पानी के मामले में 24 अगस्त को शीर्ष सरकारी अधिकारियों को तलब किया है। कर्नाटक के चित्रदुर्ग शहर के कवाडीगरहट्टी इलाके में दूषित पानी पीने से छह लोगों की मौत हो गई थी और 180 से अधिक लोग अस्पताल में भर्ती हैं।

लोकायुक्त न्यायमूर्ति बी.एस. पाटिल ने बुधवार को कहा कि मामले में स्वत: संज्ञान पहले ही लिया जा चुका है। यह त्रासदी दर्दनाक थी। उन्होंने घटनाक्रम पर चिंता जताते हुए इसकी रिपोर्ट भी मांगी।

बेंगलुरु से शहरी विकास विभाग के सचिव, चित्रदुर्ग के जिला आयुक्त, चित्रदुर्ग नगर पालिका के प्रशासनिक निदेशक, जिला स्वास्थ्य अधिकारी, नगर पालिका आयुक्त, एईई और स्वास्थ्य निरीक्षकों को लोकायुक्त कार्यालय में बुलाया गया है। संबंधित अधिकारियों को उनके कार्यालय में रिपोर्ट के साथ मामले के पूरे तथ्य उपलब्ध कराने को कहा गया है।

अधिकारियों ने कहा कि चित्रदुर्गा जिले के कवाडीगरहट्टी में दूषित पानी से मरने वालों की संख्‍या पिछले सप्ताह बढ़कर छह हो गई, साथ ही अस्पताल में भर्ती लोगों की संख्या भी 149 से बढ़कर 185 हो गई है।

जल दूषण की घटना 31 जुलाई को सामने आई थी।

स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक, जिन लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है उनमें से कई की हालत गंभीर है। ताजा शिकार 22 वर्षीय उषा का अजन्मा बच्चा है। वह डिलीवरी के लिए कवाडीगरहट्टी स्थित अपने माता-पिता के घर आई थी।

मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं और जिला अधिकारियों को दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है। अधिकारियों ने चित्रदुर्ग नगर पालिका से जुड़े एईई (सहायक कार्यकारी अभियंता) आर. मंजूनाथ गिराड्डी और जेई (जूनियर इंजीनियर) एस.आर. किरण कुमार को निलंबित करने की सिफारिश करते हुए एक रिपोर्ट भेजी है। कवाडीगरहट्टी में वॉल्व ऑपरेटर के रूप में काम करने वाले प्रकाश को भी जिला आयुक्त ने निलंबित कर दिया था।

इस बीच, कन्नड़ फिल्म अभिनेता और कार्यकर्ता चेतन अहिंसा ने कहा कि इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि वास्तव में त्रासदी का कारण क्या था। उन्‍होंने कहा, “कभी-कभी अधिकारी कहते हैं कि यह पानी के दूषित होने के कारण है और यह गंभीर आरोप है कि यहां दलितों को निशाना बनाया जाता है। सच्चाई सामने आनी चाहिए और पारदर्शी जांच होनी चाहिए।”

अहिंसा ने सवाल किया, “इस मामले में, पीड़ित दलितों की उपेक्षा की गई है और गंभीर खामियां हैं। हजारों लोगों को पानी की आपूर्ति की जाती है और इसका प्रभाव केवल उस इलाके में क्यों देखा जाता है जहां दलित रहते हैं? अगर यही घटना बेंगलुरु के पॉश इलाके में हुई होती, यह अंतर्राष्ट्रीय समाचार होता। गरीब लोगों के प्रति लापरवाही है क्‍योंकि यह क्षेत्र राज्य की राजधानी से दूर है। सरकार प्रतिक्रियाशील है जबकि उसे सक्रिय होना चाहिए। इस सवाल का कोई जवाब नहीं है कि केवल दलित ही क्यों मर रहे हैं और अस्पताल में भर्ती हो रही हूं।”

बेंगलुरु मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट की ताजा रिपोर्ट में पानी में हैजा के बैक्टीरिया वेरिएंट मिलने की रिपोर्ट दी गई है। इसमें यह भी कहा गया है कि हैजा के बैक्टीरिया के कारण पांच मौतें हुईं। स्थानीय अधिकारियों की रिपोर्ट में भी यही निष्कर्ष था।

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