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दलितों के खिलाफ हिंसा के मामलों में कर्नाटक की सजा दर संतोषजनक नहीं: सिद्दारमैया

Karnataka's conviction rate in cases of violence against Dalits not satisfactory: Siddaramaiah

बेंगलुरु, 17 जनवरी। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने कहा कि दलितों के खिलाफ हिंसा के मामलों में सजा दर में राज्य का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं है।

वह मंगलवार को राज्य के पुलिस महानिदेशक के कार्यालय में आयोजित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के वार्षिक सम्मेलन में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा, “अगर पीड़ितों का सिस्टम पर भरोसा बनाना है तो अत्याचार के मामलों की जांच की गुणवत्ता में सुधार करना होगा।”

सीएम ने स्पष्ट निर्देश दिया कि वैज्ञानिक रूप से वैध आरोप पत्र दाखिल किया जायें।

सीएम ने चेतावनी दी, “महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा के मामलों पर पूर्ण रोक लगाई जाए। सजा दिलाने की दर बढ़ाई जानी चाहिए। अन्यथा, इस विफलता के लिए खुद डीसीपी को दोषी ठहराया जाएगा।”

उन्होंने कहा, “हमारी सरकार ने पुलिस को खुली छूट दे दी है। मेरी प्रतिबद्धता है कि हमें पुलिस के काम में अपनी नाक नहीं घुसानी चाहिए। लेकिन खुली छूट का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। इससे लोगों को फायदा होना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “यह एक बुरा घटनाक्रम है कि पुलिस अधिकारी तबादलों के लिए उत्सुक हैं और अपनी जाति का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। हम एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र हैं। हमें अपने संविधान की आकांक्षाओं को मजबूत करना चाहिए।”

सिद्दारमैया ने आगे कहा कि कर्नाटक एकीकरण के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में सुवर्णा पुलिस भवन के निर्माण के लिए बजट में अनुदान अलग रखा जाएगा। सीएम ने आश्वासन दिया कि पुलिस के रिक्त पद भी भरे जायेंगे।

उन्होंने कहा, “अगर कानून-व्यवस्था अच्छी होगी तो राज्य का विकास संभव है। लोगों की प्रति व्यक्ति आय और जीडीपी बढ़ेगी। निवेशक आएंगे। इसलिए कानून-व्यवस्था ठीक बनाए रखें।”

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