भाजपा ने मुस्लिम नेताओं और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बीच हुई बैठक पर गंभीर आपत्ति जताई है। इसमें प्रतिनिधिमंडल ने अल्पसंख्यकों के लिए बजटीय आवंटन बढ़ाने की मांग की थी। भाजपा का आरोप है कि ऐसी मांगें धर्म आधारित बजट बनाने के समान हैं।
भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार पर धर्म-आधारित बजट बनाने का आरोप लगाया है।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “कर्नाटक में मुस्लिम समूह अब धर्म-आधारित बजट की मांग कर रहे हैं। मंत्री रहीम खान, जमीर अहमद खान और मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव नसीर अहमद सहित मुस्लिम नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के बजट में अल्पसंख्यकों के लिए धन आवंटन का अनुरोध करते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से मुलाकात की।”
उन्होंने पोस्ट में आगे लिखा, “पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि भारत के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। कर्नाटक में मुस्लिम समुदाय अब कांग्रेस को समर्थन देने के बदले में अपना हिस्सा मांग रहा है। इस तरह की मुस्लिम दावेदारी और धर्म-आधारित मांगों के कारण 1947 में धार्मिक आधार पर भारत का विभाजन हुआ। हम इसे दोबारा बर्दाश्त नहीं कर सकते।”
भाजपा और जेडीएस ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार पर अल्पसंख्यक तुष्टिकरण और हिंदुओं को दरकिनार करने का आरोप लगाया है। हालांकि, कांग्रेस का तर्क है कि उसका उद्देश्य समाज कल्याण और विकास है।
कांग्रेस सरकार ने 2024-25 के बजट में मुस्लिम समाज के कल्याण हेतु 3,000 करोड़ रुपये आवंटित किए थे, जिस पर विपक्षी दलों ने ऐतराज जताया था।
तब तुष्टिकरण के आरोपों का जवाब देते हुए उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा था, “3.71 लाख करोड़ रुपये के बजट में क्या हम मुसलमानों के लिए 1 प्रतिशत भी आवंटित नहीं कर सकते? हमने स्कूलों और विकास के लिए 3,000 करोड़ रुपये दिए हैं। इसमें क्या गलत है?”
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया मार्च में 2025-26 का बजट पेश करने वाले हैं, जिसके 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने की उम्मीद है। वित्त मंत्री के रूप में सिद्धारमैया 16वां बजट पेश करेंगे।
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