N1Live Entertainment ‘चंदू चैंपियन’ में कार्तिक आर्यन की फिजिकल ट्रांसफॉर्मेशन तो परफेक्ट, लेकिन एक्टिंग निराशाजनक
Entertainment

‘चंदू चैंपियन’ में कार्तिक आर्यन की फिजिकल ट्रांसफॉर्मेशन तो परफेक्ट, लेकिन एक्टिंग निराशाजनक

Kartik Aryan's physical transformation in 'Chandu Champion' is perfect, but his acting is disappointing

मुंबई, 15 जून हिंदी सिनेमा और खेल का नाता बेहद गहरा है। लगभग हर साल इस थीम पर 8 फिल्में बनाई जाती हैं। देश में स्पोर्ट्स बायोपिक का ट्रेंड खूब देखने को मिल रहा है। कोई एथलीट या खिलाड़ी, जिन्होंने अपने जीवन में देश के लिए बहुत कुछ किया, लेकिन वह वक्त के साथ गुमनामी की दुनिया में खो गए, उनकी कहानी लोगों को प्रेरित करती है। ऐसे खिलाड़ियों की लिस्ट हर साल बढ़ती जा रही है।

कार्तिक आर्यन की नई फिल्म ‘चंदू चैंपियन’ एक और चैंपियन की जिंदगी की कहानी लेकर आई है। फिल्म में भारत के पहले पैरालंपिक गोल्ड मेडल जीतने वाले मुरलीकांत पेटकर का किरदार कार्तिक आर्यन ने निभाया है। निर्देशक कबीर खान ने फिल्म के जरिए उनकी सच्ची कहानी को बताने की कोशिश की है।

1944 में महाराष्ट्र के सांगली के पेठ इस्लामपुर क्षेत्र में जन्मे मुरलीकांत पेटकर को स्कूल में चंदू कहकर चिढ़ाया जाता है। इसका वह हमेशा एक डायलॉग के जरिए जवाब देते, ‘मैं चंदू नहीं, चैंपियन हूं’… बचपन में मुरली ने 1952 में हेलसिंकी में हुए ओलंपिक में उनके गांव के पहलवान खशाबा दादासाहेब जाधव को कांस्य पदक जीतकर लाते हुए देखा, यहीं से उन्होंने भी कुश्ती में एक दिन ऐसा ही पदक जीतने का सपना देखा।

मुरली का भाई जगन्नाथ (अनिरुद्ध दवे), उनसे बहुत प्यार करता है। इसके लिए उन्होंने उसे सुझाव दिया कि, वे पहले अपना शरीर मजबूत करें और स्थानीय अखाड़े में कुश्ती सीखने के लिए खुद को काबिल बनाए। अखाड़े के दांवपेच सीख वह दूसरे गांव के दगड़ू को कुश्ती प्रतियोगिता में हरा देता है, यह देख पूरा गांव उनके पीछे पड़ जाता है और मुरली बचने के लिए एक ट्रेन में चढ़ जाता है।

इस ट्रेन में कई एथलीट सेना भर्ती शिविर के लिए सफर कर रहे होते हैं। इसी सफर पर उनकी दोस्ती जरनैल सिंह (भुवन अरोड़ा) से होती है, जो उन्हें हर तरीके से गाइड करता है। जरनैल की मदद से वह भारतीय सेना के इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स (ईएमई) कोर में एक क्राफ्ट्समैन-जवान के रूप में शामिल हो जाते है।

आर्मी में रहते हुए वह कोच टाइगर अली से बॉक्सर बनने की ट्रेनिंग लेते है। लेकिन जिंदगी तय की गई योजनाओं के मुताबिक नहीं चलता। 1965 के भारत-पाकिस्तान की जंग में मुरली को गोलियां लग जाती है। वह दो साल तक अस्पताल में कोमा में रहे और रीढ़ ही हड्डी में गोली फंसी होने के चलते उनके शरीर का निचला हिस्सा लकवाग्रस्त हो जाता है। वह अपने सबसे अच्छे दोस्त जरनैल सिंह को भी खो देते हैं।

मेडल जीतने का सपना उन्हें हालातों से लड़ने के लिए प्रेरित करता है और वह पैरालिंपिक में स्विमिंग और अन्य खेलों में शामिल हो जाते है। वह तेल अवीव में 1968 के समर पैरालिंपिक में टेबल टेनिस खेलते हैं और पहला राउंड पास कर लेते हैं, लेकिन ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाते।

1972 में जर्मनी के हेडलबर्ग में अगले समर पैरालिंपिक में, मुरली ने स्विमिंग में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया, वह गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय ओलंपियन बन गए।

‘चंदू चैंपियन’ अब वर्ल्ड स्टेज पर असली चैंपियन है।

कबीर खान हिट और सफलता के मामले में नए नहीं हैं। एक ऐसे व्यक्ति के जीवन पर फिल्म बनाना, जिसने एक के बाद एक मुश्किलों का डटकर सामना किया और जिसके अंदर दृढ़ निश्चय की भावना थी, उनके जैसे निर्देशक के लिए आसान रहा होगा। उन्होंने मुरलीकांत पेटकर के फिजिकल ट्रांसफॉर्मेशन के अलावा भावनात्मक संघर्ष को भी गहराई से दिखाया।

उन्हें फिल्म को बनाने में एक शानदार सिनेमैटोग्राफर सुदीप चटर्जी का साथ मिला है, जो फ्रेम में काफी जान डालते हैं। चाहे वह गांव का इलाका हो या एथलेटिक ट्रैक हो, बॉक्सिंग रिंग हो या अस्पताल, सभी उनके लेंस के जरिए शानदार तरीके से उभरे।

जूलियस पैकियम का बैकग्राउंड स्कोर और प्रीतम के गाने लोगों पर अपना जादू नहीं कर पाए।

कबीर खान, सुमित अरोड़ा और सुदीप्तो सरकार द्वारा लिखी गई स्क्रिप्ट में मेलोड्रामा ज्यादा है, खास तौर से उन सीन्स में जहां इसकी सबसे कम जरूरत थी। कार्तिक आर्यन की परफॉर्मेंस खराब लेखन के चलते काफी सीमित है।

मुरलीकांत पेटकर में कार्तिक आर्यन का फिजिकल ट्रांसफॉर्मेशन काफी सराहनीय होता, अगर उन्होंने ज्यादा डेडिकेशन के साथ करेक्टर को निभाया होता। केवल एक एथलीट की अपीयरेंस को मूर्त रूप देना काफी नहीं है।

हिंदी फिल्म एक्टर अपने द्वारा निभाए जाने वाले किरदारों के लिए अपनी फिजिकल ट्रांसफॉर्मेशन को ढालने में सफल होते हैं। बाकी वे कैमरे पर छोड़ देते हैं।

एक सीन में, जब मुरली पैरालिंपिक में तैराक के तौर पर हिस्सा लेते है, तो उन्हें विश्व स्तरीय तैराक मार्क स्पिट्ज और माइकल फेल्प्स जैसा दिखाने के लिए खास कोशिश की जाती है। छोटे कटे हुए बाल, जॉलाइन और चेहरे पर जीरो एक्सप्रेशन के साथ, आर्यन विश्व स्तरीय चैंपियन की तरह दिखने के लिए हर संभव एंगल आजमाते है।

फिल्म: चंदू चैंपियन

फिल्म की अवधि: 143 मिनट

निर्देशक: कबीर खान

कलाकार: कार्तिल आर्यन, विजय राज, भुवन अरोड़ा और यशपाल शर्मा

सिनेमाटोग्राफी: सुदीप चटर्जी

म्यूजिक: प्रीतम

आईएएनएस रेटिंग: 2 स्टार

Exit mobile version