दिल्ली के 12 कॉलेजों में आर्थिक संकट, शिक्षकों को वेतन तक देने में हैं असमर्थ
नई दिल्ली, दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 प्रसिद्ध कॉलेजों का भविष्य लगातार अधर में बना हुआ है। यह 12 कॉलेज पूरी तरह दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं। यहां अव्यवस्थाओं का मुख्य कारण इन कॉलेजों में उत्पन्न होता आर्थिक संकट है। इस आर्थिक संकट के कारण बार-बार विभिन्न श्रेणियों के शिक्षकों एवं अन्य कर्मचारियों के वेतन में देरी होती है। दिल्ली विश्वविद्यालय से संबंधित इन कॉलेजों की दशा को देखते हुए अब शिक्षकों द्वारा यूजीसी से इन कॉलेजों को टेक ओवर करने को कहा जा रहा है।
यूजीसी से जिन कॉलेजों के टेकओवर की मांग रखी गई है, उनमें दिल्ली का भीमराव अंबेडकर कॉलेज, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, महर्षि बाल्मीकि कॉलेज, इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स कॉलेज, अदिति महाविद्यालय, भगिनी निवेदिता, दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज, भास्कराचार्य कॉलेज ऑफ अप्लाइड साइंस और केशव महाविद्यालय आदि शामिल हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 12 कॉलेजों को दिल्ली सरकार की ओर से जो ग्रांट दी जा रही है, उसमें शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन का भुगतान बमुश्किल हो पाता है। इन कॉलेजों में गेस्ट टीचर्स, कन्ट्रक्च ुल कर्मचारी भी है जिन्हें 12 से 15 हजार रुपये प्रति माह मिलते हैं, लेकिन पिछले दो महीने से कुछ कॉलेजों में सैलरी नहीं मिली है। शिक्षकों के मुताबिक कुल मिलाकर स्थिति यह है कि दिल्ली जैसे महानगर में ये कर्मचारी बिना वेतन कार्य कर रहे हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) का कहना है कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित दिल्ली के 12 कॉलेजों में कार्यरत तदर्थ शिक्षक को राज्य सरकार द्वारा घोस्ट एम्प्लॉयी बताया जा रहा है। दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 12 कॉलेजों में जो तदर्थ एवं अस्थायी शिक्षक काम कर रहे हैं, दिल्ली विधानसभा में बिल लाकर उनका समायोजन किया जाए। ईडब्ल्यूएस कोटे की 25 प्रतिशत सीटों को तुरंत जारी किया जाएं। डूटा ने केंद्र सरकार से दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित एवं प्रशासित 28 कॉलेजों को सीधे यूजीसी से अधीन लेने की मांग भी की है।
दिल्ली विश्वविद्यालय कार्यकारी परिषद् के सदस्य व अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने शिक्षकों व कर्मचारियों को वेतन न दिए जाने को जीविकापार्जन के अधिकार के विरुद्ध बताया। उन्होंने कहा कि वह न्यायालय के स्तर पर भी इस विषय में किसी तरह के सहयोग की आवश्यकता होगी तो वह इसके लिए तैयार है।
इससे पहले डूटा अध्यक्ष प्रोफेसर ए.के. भागी कह चुके हैं कि दिल्ली सरकार फाइनेंशियल कट करके 12 कॉलेजों से अपना पल्ला झाड़ना चाहती है।
केजरीवाल ने पंजाब चुनाव से पहले जनवरी में ग्रांट जारी की थी, चुनाव खत्म होते ही फिर ग्रांट रोकना शुरू कर दिया। उनके मुताबिक, इस वर्ष का प्रस्तावित बजट पिछले वर्ष के सैलरी बजट से भी कम है। डूटा कार्यकारिणी का कहना है कि है कि अब इस समस्या के स्थाई समाधान से कम कुछ भी स्वीकार्य नहीं होगा।
डूटा का कहना है कि कोरोना संकट के बीच शिक्षकों ने विद्यार्थियों की पढ़ाई को निरंतर जारी रखा। ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित की और शिक्षण, प्रशक्षिण के लिए आवश्यक गतिविधियों के आयोजन में सहयोग किया। दिल्ली सरकार के लापरवाह रवैये, पूर्वाग्रह से ग्रसित सोच के परिणामस्वरूप, ऐसे एक हजार से अधिक शिक्षक पिछले दो सालों से वेतन को लेकर परेशान है। दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित कॉलेजों में शिक्षकों व कर्मचारियों को दो से छह माह के विलंब से वेतन जारी किया जा रहा है, जबकि केंद्र सरकार से अनुदान प्राप्त दिल्ली विश्वविद्यालय के अन्य सभी कॉलेजों में वेतन समय पर मिल रहा है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि एक ही विश्वविद्यालय के 12 कॉलेजों में वेतन को लेकर इस तरह का व्यवहार अनुदान प्रदान करने वाली दिल्ली की सरकार कर रही है। न सिर्फ शिक्षकों, बल्कि इन कॉलेजों के शिक्षणेत्तर कर्मचारियों व संविदा कर्मियों के समक्ष भी दिल्ली सरकार के इस रवैये के चलते आर्थिक संकट खड़ा हो गया है और उनके लिए अपने दैनिक खर्चो की पूर्ति भी मुश्किल हो चली हैं।
स्वयं आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) का करना है कि दिल्ली सरकार द्वारा 12 कॉलेजों की ग्रांट रिलीज न होने यह कॉलेज पूरी तरह प्रभावित हुए हैं। आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन के अध्यक्ष हंसराज सुमन ने आईएएनएस को बताया कि इससे न केवल वेतन भुगतान प्रभावित हुआ है, बल्कि चिकित्सा बिल, सेवानिवृत्ति लाभ और अन्य विकास व्यय भी लंबित हैं।
–आईएएनएस
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