केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को केरल इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (केआईआईएफबी) द्वारा मसाला बॉन्ड के जरिए फंड जुटाने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जारी नोटिस पर रोक लगा दी। इससे मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को अंतरिम राहत मिली। यह राहत मुख्यमंत्री के हाईकोर्ट जाने के एक दिन बाद मिली, जिसमें उन्होंने ईडी के उन नोटिसों को चुनौती दी थी, जिनमें विदेशी फंड जुटाने की प्रक्रिया में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था।
अंतरिम आदेश न केवल मुख्यमंत्री बल्कि इसाक, अब्राहम और केआईआईएफबी को भी सुरक्षा प्रदान करता है, जिन्हें हाल ही में केंद्रीय एजेंसी की ओर से नोटिस जारी किए गए थे। अपनी याचिका में विजयन ने एफईएमए के प्रावधानों के किसी भी उल्लंघन से साफ इनकार किया है और उन्हें और केआईआईएफबी को जारी किए गए नोटिस को रद्द करने की मांग की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि ईडी की कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है।
राज्य सरकार और केआईआईएफबी ने मौजूदा कानूनों और नियामक मानदंडों का पूरी तरह से पालन करते हुए मसाला बॉन्ड जुटाए और इस्तेमाल किए थे। यह कानूनी टकराव इस सप्ताह की शुरुआत में तब और तेज हो गया जब ईडी ने हाईकोर्ट की एक डिवीजन बेंच में केआईआईएफबी के खिलाफ आगे की कार्यवाही पर रोक लगाने वाले सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती दी।
जस्टिस वी.जी. अरुण ने केआईआईएफबी की रिट याचिका स्वीकार करते हुए ईडी के कारण बताओ नोटिस पर तीन महीने की रोक लगा दी और कहा कि उठाए गए मुद्दे विस्तृत न्यायिक जांच के लायक हैं।ईडी ने तर्क दिया है कि सिंगल बेंच ने रोक लगाने में अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया है और इसे रद्द करने की मांग की है। एजेंसी के अनुसार, फंड के इस्तेमाल में गंभीर अनियमितताएं पाई गईं।
मसाला बॉन्ड के जरिए जुटाए गए 2,672 करोड़ रुपए में से, कथित तौर पर 467 करोड़ रुपए जमीन अधिग्रहण के लिए इस्तेमाल किए गए थे। केआईआईएफबी ने इसका जवाब देते हुए कहा है कि जमीन अधिग्रहण इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स का एक जरूरी हिस्सा है और फंड का इस्तेमाल पूरी तरह से डेवलपमेंट के मकसद से किया गया था।
सीएम विजयन की याचिका में आगे कहा गया है कि विदेशी कर्ज से जुड़े रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के सभी नियमों का पालन किया गया था और किसी भी स्तर पर विदेशी मुद्रा नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया।

