कोच्चि, 9 जनवरी । केरल हाईकोर्ट ने केनेल (कुत्ते के घर जैसे) विटनेस बॉक्स (कठघरे) पर गहरी नाराजगी जताई है। जहां पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामलों में पीड़ित अपनी गवाही पेश करते हैं।
न्यायमूर्ति सोफी थॉमस की अदालत ने नियमित जमानत आवेदनों की एक सूची पर विचार करते हुए ये टिप्पणियां की, जिनमें से कई पॉक्सो अधिनियम के तहत आरोपियों द्वारा दायर किए गए थे।
न्यायमूर्ति सोफी थॉमस ने कहा, ”पॉक्सो कोर्ट में एक बॉक्स होता है जिसमें बच्चों को गवाही देनी होती है। जो पीड़ित के लिए है और यह बिल्कुल एक केनेल की तरह है। बच्चे इसमें प्रवेश करने से ही डरेंगे। बच्चों को इनके अंदर जाने के लिए कहना अपने आप में बहुत आघात पहुंचाने वाला होगा।”
न्यायमूर्ति सोफी थॉमस ने याद किया कि एक बार जब वह पॉक्सो अदालत में थीं, तो उन्होंने अदालत के कर्मचारियों से कहा कि आरोपी को गवाह के कठघरे में खड़ा करा जाए और बच्चों को बाहर रहने की इजाजत दी जाए।
उन्होंने आगे कहा कि कठघरे इतने रुकावटवाले हैं कि वे कुत्तों के केनेल की तरह ही किसी भी रोशनी को भीतर नहीं आने देते हैं। केवल उनके चेहरे नजर आते हैं। यहां तक कि केनेल में भी सलाखें होती हैं जो रोशनी को अंदर आने देती हैं। यहां बच्चों को एक कठखरे में खड़ा कर दिया जाता है, जिसमें से केवल उनका चेहरा दिखाई देता है ताकि आरोपी उन्हें न देख सकें।
संयोग से पिछले साल, केरल को एर्नाकुलम जिला न्यायालय परिसर में अपना पहला बाल-अनुकूल पॉक्सो कोर्ट मिला।