महाकुंभ नगर, 17 जनवरी। उत्तर प्रदेश की संगम नगरी प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में आस्था के अनोखे रंग देखने को मिल रहे हैं। देश-विदेश से श्रद्धालु लगातार महाकुंभ का हिस्सा बनने के लिए संगम नगरी पहुंच रहे हैं और यहां मौजूद साधु-संत भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
ऐसे ही एक खड़ेश्वर बाबा हैं, जो पिछले छह साल से खड़े हैं। देसी हो या विदेशी नागरिक हर कोई बाबा से आशीर्वाद लेने के लिए उनके मंडप में पहुंच रहा है।
रूपेश पुरी उर्फ खड़ेश्वर बाबा ने आईएएनएस से कहा, “मेरा आश्रम हरिद्वार में हर की पौड़ी में है और मैं पिछले छह साल से खड़े रहने की साधना कर रहा हूं। ऐसा करने की कोई खास वजह नहीं है और मैं कब तक इस तरह की तपस्या को करूंगा, इस बारे में भी कुछ नहीं सोचा है। हालांकि, मैं जनकल्याण और सनातन धर्म के लिए तपस्या कर रहा हूं। सनातन धर्म की नींव ही साधु-संत हैं।”
दरअसल, खड़ेश्वर बाबा जिस साधना को पिछले छह साल कर रहे हैं। इस साधना को हठयोग कहते हैं। उनका मानना है कि उनकी यह तपस्या मानव कल्याण के लिए है।
उल्लेखनीय है कि खड़ेश्वर बाबा का ताल्लुक श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा से है। महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु भी खड़ेश्वर बाबा की तपस्या से काफी प्रभावित हैं और वह उनसे आशीर्वाद भी ले रहे हैं।
संगम नगरी प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हुआ महाकुंभ 26 फरवरी तक चलेगा। ऐसा महाकुंभ 144 साल बाद आया है। इसके चलते हर कोई स्नान के लिए संगम नगरी प्रयागराज पहुंच रहा है।
महाकुंभ 2025 की शुरुआत 13 जनवरी से हुई है। दूसरे दिन मकर संक्रांति के मौके पर अमृत स्नान के दौरान संगम तट पर 3.50 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई थी।
सीएम योगी ने बताया कि प्रथम अमृत स्नान के मौके पर मंगलवार को 3.50 करोड़ से अधिक संतों एवं श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ अर्जित किया।