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नीतीश कुमार की भाजपा से दोस्ती वाले बयान के निकाले जाने लगे मायने

Know the meaning of Nitish Kumar's statement of friendship with BJP

पटना, 20 अक्टूबर । बिहार के पूर्वी चंपारण जिला मुख्यालय मोतिहारी में महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा भाजपा के साथ दोस्ती की याद आने और मरते दम तक साथ संबंध रहने के बयान के बाद अब इसके मायने निकाले जाने लगे। जदयू इस मामले पर जहां सफाई देने में जुटी है, वहीं भाजपा भी इस बयान को लेकर नरम नहीं दिख रही है।

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान पर सफाई देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने जो कुछ भी कहा वह व्यक्तिगत रिश्ते के आधार पर कहा। अब मीडिया ने उस खबर को एजेंडा बना लिया है।

सिंह ने सफाई देते हुए दोष मीडिया पर ही मढ़ दिया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि भाजपा ने 2020 के विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पीठ में छुरा घोंपा है, इसलिए जदयू और नीतीश कुमार भाजपा की तरफ देखेंगे भी नहीं।

अगर गौर से देखा जाए तो नीतीश और ललन सिंह के बयान अलग-अलग हैं। मुख्यमंत्री जहां संबंध निभाने की बात कर रहे हैं। वहीं, ललन सिंह भाजपा की तरफ नहीं देखने तक की बात कर रहे।

भाजपा के राज्यसभा सांसद और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि ऐसा कर नीतीश कुमार राजद और कांग्रेस को डराने का काम करते हैं। नीतीश कुमार कह रहे हैं कि अगर मुझे प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित नहीं करोगे तो मैं भाजपा के साथ भी जा सकता हूं। नीतीश राजद और कांग्रेस को भ्रमित कर रहे हैं। भाजपा को नीतीश की आवश्यकता नहीं है। नीतीश ना तो हमें वोट दिला सकते हैं ना उनमें कुछ बचा है। पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू 44 सीट पर सिमट गई थी।

उन्होंने साफ लहजे में कहा कि समझौता ताकतवर से किया जाता है और अब नीतीश कुमार के पास कुछ नहीं है।

इसी बीच राजद भी मुख्यमंत्री के बयान को व्यक्तिगत संबंधों से जोड़कर देख रही है। राजद के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव कहते हैं कि भाजपा को गलतफहमी नहीं पालनी चाहिए।

वैसे, नीतीश कुमार जिस तरह राजनीति में पलटते हैं, उससे उनके बयानों को नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता है।

चर्चित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर कहते हैं कि नीतीश कुमार किस पार्टी के साथ जाएंगे, ये खुद नीतीश कुमार भी नहीं बता सकते हैं। नीतीश कुमार जो राजनीति करते हैं, उसमें एक दरवाजा रखते हैं जो पब्लिक को दिखता है, अभी वो दरवाजा महागठबंधन है। इस व्यवस्था में आप देख रहे हैं कि वो अभी महागठबंधन के साथ सरकार चला रहे हैं। महागठबंधन के बने एक साल हो गया, लेकिन अब तक उन्होंने नहीं कहा कि लालू यादव, तेजस्वी यादव या फिर उनके परिवार के लोग भ्रष्टाचार में शामिल नहीं हैं।

प्रशांत किशोर कहते हैं कि राज्यसभा में हरिवंश आज भी बने हुए हैं। राज्यसभा के उपसभापति पद से हरिवंश को न भाजपा वालों ने हटाया न नीतीश कुमार ने हटाया। बिहार विधानसभा और विधानपरिषद में अध्यक्ष बदल दिए गए पर राज्यसभा का उपसभापति नहीं बदला गया। ये दिखाता है कि हरिवंश समय आने पर नीतीश कुमार के लिए रोशनदान की भूमिका में होंगे।

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