December 22, 2025
Entertainment

कॉमेडी फिल्मों की चुनौतियों को लेकर बोले कुणाल खेमू, ‘हंसी को दिखावा बनाकर पेश नहीं किया जा सकता’

Kunal Kemmu on the challenges of comedy films: “Laughter can’t be presented as a gimmick.”

आज के दौर में जब ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर हर हफ्ते नई सीरीज और फिल्में रिलीज हो रही हैं, दर्शकों का दिल जीतना आसान नहीं रह गया है। खासकर कॉमेडी के मामले में यह चुनौती और भी बड़ी हो जाती है, क्योंकि कॉमेडी ऐसी चीज है जिसे मजबूरी में महसूस नहीं किया जा सकता। इसी सोच को अभिनेता कुणाल खेमू ने आईएएनएस से बात करते हुए सामने रखा।

हाल ही में नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हुई सीरीज ‘सिंगल पापा’ को मिल रहे शानदार रिस्पॉन्स के बीच कुणाल खेमू ने कॉमेडी, अभिनय, लेखन और निर्देशन के सफर को लेकर बात की है। उन्होंने कहा कि हंसी को दिखावा बनाकर पेश नहीं किया जा सकता है। यही बात कॉमेडी को सबसे ज्यादा ईमानदार कला बनाती है।

आईएएनएस से बात करते हुए उन्होंने मौजूदा ‘सिंगल पापा’ के साथ-साथ अपनी निर्देशित फिल्म ‘मडगांव एक्सप्रेस’ के बनने की पूरी कहानी भी साझा की। यह फिल्म उनके करियर में एक अहम मोड़ साबित हुई। इसके जरिए उन्होंने पहली बार निर्देशन की दुनिया में कदम रखा था।

कुणाल ने कहा, ”किसी फिल्म या शो के पीछे सिर्फ मेहनत ही नहीं, बल्कि सही समय और सही लोगों का साथ भी बहुत जरूरी होता है।” कुणाल खेमू ने कहा, ”एक अभिनेता के लिए असली काम सिर्फ एक्टिंग करना नहीं होता, बल्कि लंबे समय तक इंतजार करना भी उसी काम का हिस्सा होता है। फिल्म इंडस्ट्री में धैर्य ही सबसे बड़ी ताकत है।”

लेखन को लेकर कुणाल ने कहा, “मैंने ‘मडगांव एक्सप्रेस’ की कहानी साल 2015 में लिखी थी। उस वक्त मेरे मन में यह बिल्कुल भी नहीं था कि मैं इस फिल्म को खुद डायरेक्ट करूंगा। मुझे तो यह भी नहीं पता था कि यह कहानी कभी फिल्म बनेगी या नहीं। मैंने बस इसलिए लिखा क्योंकि मैं इस कहानी को कहना चाहता था। मुझे लगा था कि ज्यादा से ज्यादा यही होगा कि मैं इस फिल्म में तीन दोस्तों में से किसी एक का किरदार निभा लूंगा।”

उन्होंने कहा, ”करीब सात साल बाद जिंदगी में एक बड़ा मोड़ आया, जब किसी ने मेरी लिखी कहानी पढ़ी और उसे पसंद किया। इसके बाद प्रोड्यूसर्स ने कहा कि इस पर फिल्म बननी चाहिए और मुझे फिल्म का निर्देशन करने के लिए बोला गया, तो मैंने बिना ज्यादा सोचे हां कर दी। मैं मानता हूं कि फिल्म बनाने की कोई तय प्रक्रिया नहीं होती। कभी किसी प्रोजेक्ट को बनने में सालों लग जाते हैं और कभी सब कुछ बहुत आसानी से अपने आप जुड़ता चला जाता है।”

कुणाल खेमू ने कहा, ”अगर किस्मत और हालात साथ दें, तो चीजें अपने आप सही दिशा में बढ़ने लगती हैं। मैं यह नहीं कह सकता कि फिल्म बनाने के लिए एक पक्का फॉर्मूला होता है। कभी बहुत मेहनत के बाद भी काम अटक जाता है और कभी बिना ज्यादा संघर्ष के काम बन जाता है। मैं खुद को खुशकिस्मत मानता हूं कि मेरे साथ सही समय पर सही लोग जुड़े और ‘मडगांव एक्सप्रेस’ बन पाई।”

आईएएनएस से बात करने के दौरान कुणाल ने फिल्म के ट्रेलर लॉन्च का एक खास अनुभव भी साझा किया। उन्होंने बताया, ”ट्रेलर लॉन्च के दौरान स्क्रीन पर वीडियो चलने से पहले हॉल में सन्नाटा छा गया था, उस समय मैं काफी घबरा गया। मेरे मन में यह डर था कि पता नहीं लोगों को यह पसंद आएगा या नहीं। लेकिन जैसे ही ट्रेलर खत्म हुआ, पूरा कमरा तालियों और हंसी से गूंज उठा। वह पल मेरे लिए बेहद खास था।”

कुणाल खेमू ने कहा, ”कॉमेडी की यही सबसे बड़ी खूबी है कि वह बिल्कुल स्टेज पर लाइव परफॉर्मेंस जैसी होती है। आप हंसी को दिखावा बनाकर पेश नहीं कर सकते। लोग दिल से हंसते हैं या बिल्कुल नहीं। जब कॉमेडी काम कर जाती है, तो उसकी खुशी बाकी तारीफों से कहीं ज्यादा होती है।”

Leave feedback about this

  • Service