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कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय गीता अध्ययन में बीए पाठ्यक्रम शुरू करेगा कुलपति

Kurukshetra University Vice Chancellor will start BA course in Gita studies

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (यूआईईटी) में बुधवार को ‘श्रीमद्भगवद्गीता: विज्ञान, आधुनिक शिक्षा और जीवन प्रबंधन’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि समग्र शिक्षा और जीवन प्रबंधन का सार गीता में निहित है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत करने के लिए भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुरूप गीता को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।

उन्होंने कहा, “श्रीमद्भगवद्गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है – यह मानव जीवन की सभी समस्याओं का समाधान प्रदान करती है। गीता न केवल भारत का गौरव है, बल्कि मानवता के लिए एक धर्मग्रंथ है। यह व्यक्ति में छिपी क्षमताओं को विकसित करती है, मन को एकाग्र करती है और जीवन में समय प्रबंधन सिखाती है।”

कार्यशाला के मुख्य संरक्षक कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि गीता के दिव्य ज्ञान को अनुसंधान, पाठ्यक्रम और संवाद के माध्यम से शिक्षा के हर स्तर तक ले जाने की आवश्यकता है ताकि अगली पीढ़ी आध्यात्मिक रूप से समृद्ध हो सके।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय जल्द ही बीए (गीता अध्ययन) कार्यक्रम शुरू करेगा और भविष्य में पीजी और पीएचडी स्तर पर भी इस विषय को शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि केयू ने मूल्यवर्धित पाठ्यक्रमों के माध्यम से भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुसार गीता ज्ञान संस्थानम के साथ एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए हैं।

कार्यशाला के दौरान एक खुला चर्चा सत्र आयोजित किया गया।

क्रश हॉल में यूआईईटी छात्रों द्वारा आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि यह प्रदर्शनी अध्यात्म और विज्ञान का अद्भुत संगम है। कार्यशाला संरक्षक और यूआईईटी निदेशक सुनील ढींगरा ने कार्यशाला की रूपरेखा पर विस्तार से प्रकाश डाला।

इस अवसर पर 48 कोस तीर्थ निगरानी समिति के अध्यक्ष मदन मोहन छाबड़ा तथा कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव उपेन्द्र सिंघल भी उपस्थित थे।

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