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एसआईआर प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव लोकतंत्र पर हमला : फौजिया खान

Lack of transparency in SIR process an attack on democracy: Fauzia Khan

एनसीपी (एससीपी) की राज्यसभा सांसद फौजिया खान ने मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से नाम हटाए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि चुनाव के समय इस तरह की कवायद संदेह पैदा करती है। एसआईआर क्यों हो रही है? अगर ऐसा हो रहा है तो यह कितना पारदर्शी कदम है?

उन्होंने कहा कि अगर मतदाता सूची से नाम हटते रहेंगे, तो चुनाव निष्पक्ष कैसे हो सकते हैं? यह लोकतंत्र पर सीधा हमला है। मतदाता सूची में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना लोकतंत्र की रक्षा के लिए अनिवार्य है।

फौजिया खान ने महाराष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान का हवाला देते हुए कहा कि यह राज्य सुसंस्कृत और प्रगतिशील रहा है, लेकिन वर्तमान में कुछ नेताओं के बयान और कार्य इसकी छवि को धूमिल कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र की संस्कृति ऐसी नहीं है कि हम विभाजनकारी बातें करें। लेकिन आज, ऐसी बातों को बढ़ावा दिया जा रहा है।”

फौजिया खान ने महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों पर निशाना साधते हुए कहा कि वे किसानों की आत्महत्या और महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध जैसे गंभीर मुद्दों पर ध्यान देने के बजाय, व्यर्थ के विषयों पर समय बर्बाद कर रहे हैं। कानून-व्यवस्था बिगड़ रही है, महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं और किसान संकट में हैं। सरकार को इन मुद्दों पर काम करना चाहिए। महाराष्ट्र की जनता जागरूक है और वह ऐसी सरकार चाहती है, जो उनकी समस्याओं का समाधान करे, न कि विवादों को हवा दे।

इसके साथ ही फौजिया खान ने दिल्ली एम्स में इलाज के दौरान पुरी बलंगा मामले की पीड़िता की मौत पर भी सवाल उठाए। उन्होंने इस मामले को संदिग्ध बताते हुए कहा, “पुलिस 15 दिनों तक कहती रही कि वे सबूत इकट्ठा कर रहे हैं और उन्हें संदेह है। फिर अचानक लड़की की मौत के बाद इसे आत्महत्या कैसे घोषित कर दिया गया? यह संदिग्ध है। इस मामले की गहन और निष्पक्ष जांच की मैं मांग करती हूं ताकि पीड़िता को न्याय मिल सके और सच्चाई सामने आए।”

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