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कानूनी विशेषज्ञों ने करनाल में तीन नए आपराधिक कानूनों पर चर्चा की

Legal experts discussed three new criminal laws in Karnal

तीन नए आपराधिक कानूनों – भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम – के कार्यान्वयन पर चर्चा के लिए गुरुवार को यहां लघु सचिवालय में एक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया था।

इस सत्र में करनाल न्यायालयों के न्यायाधीशों और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने भाग लिया। नये कानूनी ढांचे के महत्वपूर्ण घटकों – न्याय श्रुति, ई-समन और ई-साक्ष्य पर विस्तृत चर्चा की गई।

एनआईसी के उप महानिदेशक (जनरल) शशि कांत शर्मा ने तीनों नए कानूनों को लागू करने के लिए सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कार्यान्वयन प्रक्रिया से संबंधित चिंताओं को संबोधित किया और इस बात पर जोर दिया कि इन नए कानूनों का प्राथमिक उद्देश्य नागरिकों के लिए त्वरित न्याय सुनिश्चित करना है।

उन्होंने कहा कि पायलट परियोजना के तहत करनाल में दो अदालतों – जिला सत्र न्यायालय और न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय – को शीघ्र कार्यान्वयन के लिए चुना गया है। इन न्यायालयों को शीघ्र ही परिवर्तन की सुविधा के लिए आवश्यक डिजिटल उपकरणों से सुसज्जित किया जाएगा।

शर्मा ने कहा कि न्याय श्रुति ऐप का उपयोग अदालतों, जेलों, पुलिस स्टेशनों और फोरेंसिक प्रयोगशालाओं को एकीकृत प्रणाली में एकीकृत करने के लिए किया जाएगा। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि ई-साक्ष्य के लिए अपराध स्थलों से वीडियो फुटेज और फोटोग्राफ 48 घंटे के भीतर अदालत में प्रस्तुत करना होगा।

उन्होंने कहा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म और नए कानूनी प्रावधानों को अपनाने से न्यायिक प्रणाली की दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

कार्यशाला में जिला एवं सत्र न्यायाधीश चन्द्र शेखर, आईजीपी (करनाल रेंज) कुलदीप सिंह, उपायुक्त उत्तम सिंह, एसपी गंगाराम पुनिया, जेल अधीक्षक लखवीर बरार, एनआईसी के संयुक्त निदेशक कमल त्यागी तथा उप निदेशक अभियोजन-सह-जिला अटॉर्नी पंकज सैनी भी उपस्थित थे।

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