एक वकील के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने के विरोध में स्थानीय वकीलों की पिछले 17 दिनों से हड़ताल के कारण वादकारियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
जबकि अनेक वकील राज्य विधानसभा चुनावों में अपने समर्थित दलों/उम्मीदवारों के लिए प्रचार में लगे हुए हैं, वहीं वादियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि स्थानीय अदालतों में अत्यावश्यक मामलों की भी सुनवाई नहीं हो रही है।
एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “कई कैदियों को घरेलू जरूरतों के कारण जमानत की जरूरत होती है। इसके अलावा अन्य जरूरी मामले भी हैं। हालांकि, हमारे पास हड़ताल खत्म होने का इंतजार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।”
टिप्पणी के लिए संपर्क किये जाने पर रोहतक के पुलिस अधीक्षक हिमांशु गर्ग ने कहा कि जिला बार एसोसिएशन (डीबीए) के प्रतिनिधियों ने इस मामले के संबंध में उनसे दो बार मुलाकात की थी। उन्होंने कहा, “मैंने उन्हें आश्वासन दिया था कि पेशेवर और पारदर्शी तरीके से गहन जांच की जाएगी और किसी को भी गलत तरीके से नहीं फंसाया जाएगा।”
वकीलों की हड़ताल के कारण पक्षकारों को हो रही असुविधा के संबंध में गर्ग ने बताया कि स्थिति को सुलझाने के लिए जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ अन्य हितधारकों द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं।
डीबीए ने एक स्थानीय वकील के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद 2 सितंबर को काम बंद रखने का फैसला किया था। डीबीए के अध्यक्ष अरविंद श्योराण ने कहा कि काम बंद रखने के संबंध में दिशा-निर्देश तय करने के लिए वकीलों की 12 सदस्यीय समिति गठित की गई है।
डीबीए ने इस संबंध में पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल के चेयरमैन को भी ज्ञापन भेजा था। बार काउंसिल के चेयरमैन डॉ. विजेंद्र सिंह अहलावत ने हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को पत्र लिखकर मामले की गहन एवं निष्पक्ष जांच की मांग की थी।
डॉ. अहलावत ने कहा, “मामले को सुलझाने के प्रयास किए जा रहे हैं और इसे जल्द ही सुलझा लिया जाएगा।”
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