शिमला, 24 मई राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने आज यहां भगवान बुद्ध की 2,568वीं जयंती के अवसर पर किन्नौर, लाहौल-स्पीति बौद्ध सेवा संघ, शिमला द्वारा भारत-तिब्बत मैत्री सोसायटी, शिमला के सहयोग से आयोजित एक कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध की करुणा, शांति और ज्ञान की शिक्षाएं सदियों, संस्कृतियों और सीमाओं से परे हैं तथा लाखों लोगों को आंतरिक शांति और सार्वभौमिक भाईचारे के मार्ग पर मार्गदर्शन करती हैं।
उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध का संदेश आज पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है, क्योंकि हम आधुनिक विश्व की जटिलताओं से गुजर रहे हैं, जो प्रायः संघर्ष, गलतफहमी और भौतिकवाद से भरा हुआ है। शुक्ला ने कहा कि भगवान बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं ने आत्मनिरीक्षण, नैतिक जीवन और ज्ञान की खोज के महत्व पर जोर दिया।
शुक्ला ने कहा, “उनके चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग व्यक्तिगत और सामूहिक सद्भाव प्राप्त करने के लिए एक शाश्वत ढांचा प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा, “ये सिद्धांत हमें अपने दुख का सामना करने, उसके कारणों को समझने तथा दुख के निवारण का मार्ग अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”
शुक्ला ने कहा, “वे हमें सांसारिक मोह-माया की नश्वरता और सजगता तथा करुणा पर आधारित जीवन जीने के महत्व की याद दिलाते हैं।” राज्यपाल ने किन्नौर, लाहौल-स्पीति के बौद्ध समुदायों और भारत-तिब्बत मैत्री सोसायटी के प्रयासों की भी सराहना की, तथा बौद्ध धर्म की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता दी। उन्होंने कहा कि उनके प्रयासों के कारण ही शांति, अहिंसा और करुणा के मूल्य पनपते रहे और नई पीढ़ियों को प्रेरित करते रहे।
शुक्ला ने कहा कि यह उत्सव भारत और तिब्बत के लोगों के बीच स्थायी मित्रता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का प्रमाण है। राज्यपाल ने कहा, “ऐसी सभाओं के माध्यम से हमारा साझा इतिहास और सांस्कृतिक बंधन मजबूत होता है। इससे आपसी समझ और एकता को बढ़ावा मिलता है।”
उन्होंने उपस्थित लोगों से भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को अपने दैनिक जीवन में अपनाने की अपील की। राज्यपाल ने इस अवसर पर यांगसी रिनपोछे को सम्मानित किया और सहायक प्रोफेसर श्रवण कुमार तथा भिक्षु शेदुप वांग्याल को भारत तिब्बत मैत्री सम्मान-2024 प्रदान किया।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला में अध्ययनरत लाहौल-स्पीति के विद्यार्थियों तथा तिब्बती स्कूल, शिमला के विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं।