February 27, 2025
Uttar Pradesh

महाकुंभ 2025 : भगवान की वेशभूषा धारण कर आ रहे रहे लोग, भव्य आयोजन पर प्रशासन को सराहा

Mahakumbh 2025: People kept coming dressed as God, praised the administration on the grand event.

महाकुंभ नगर, 13 जनवरी । संगम नगरी प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरु हो रहे सनातन आस्था से सबसे आयोजन महाकुंभ 2025 में अनेक रंग देखने को मिल रहे हैं। देश के कोने-कोने से अलग-अलग वेशभूषा में साधु संत यहां पर पहुंच रहे हैं। आयोजन में दिल्ली की पंकज आर्केस्ट्रा पार्टी से अलग-अलग तरह के स्वरूप लेकर करीब 45 लोगों का ग्रुप यहां पर आया है।

144 साल बाद महाकुंभ के लिए कुछ खास संयोग बन रहा है। हर कोई कुंभ जाने से अपने आप को नहीं रोक पा रहा अलग-अलग तरह के महात्माओं के स्वरूप अलग-अलग तरह के अखाड़ा प्रमुख कुंभ के रंग में रंगे हुए नजर आ रहे हैं। कोई महंत बड़ी वीआईपी गाड़ी से पहुंच रहा है तो कोई अलग तरीके से पैदल पहुंच रहा है। अलग-अलग वेशभूषा में महात्माओं, साधु-संतों का पहुंचना जारी है। विदेश से भी लाखों श्रद्धालु यहां पर आ रहे हैं।

दिल्ली की पंकज आर्केस्ट्रा पार्टी से अलग-अलग तरह के स्वरूप लेकर करीब 45 लोगों का ग्रुप यहां पर आया है। शनिवार देर शाम को अलग-अलग तरह की वेशभूषा में कोई भगवान कृष्ण, राधा तो कोई भोले बाबा, हनुमान, पार्वती, गंगा, जमुना, सरस्वती के स्वरूप में इस ग्रुप के लोग पहुंचे हुए हैं। इन्हें देखने के लिए लोग भी अपने आप को नहीं रोक पाए ।

कुंभ में पहुंच रहे अलग-अलग तरह की वेशभूषा में पहुंचे लोगों ने बताया कि वो लोग दिल्ली से आए हैं और कुंभ में इस बार आयोजन काफी अच्छा हो रहा है। व्यवस्था काफी अच्छी की गई है, कोई परेशानी नहीं हो रही है।

महाकाल बाबा का रूप धारण किए हुए एक शख्स ने आईएएनएस को बताया कि “प्रयागराज आकर बहुत आनंद आ रहा है। महादेव की कृपा से भोले की फौज, मौज करेगी।”

उन्होंने प्रशासन के समर्थन और महाकुंभ को लेकर किए गए व्यवस्था पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, “हमारे कमेटी वालों को यहां पर बहुत अच्छा लग रहा है। प्रशासन ने बहुत अच्छी व्यवस्था की हुई है। पीएम मोदी और सीएम योगी को इस भव्य आयोजन के लिए बहुत धन्यवाद।”

यूपी के बुलंदशहर से आए एक व्यक्ति ने भव्य आयोजन पर खुशी जाहिर की। उन्होंने बताया कि “हमने महाकाल का स्वरूप धारण किया है। हमारा 45 लोगों का समूह यहां पर आया है। सभी अपना काम अच्छे से कर रहे हैं।”

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