January 29, 2025
Uttar Pradesh

सीएम योगी की मंशा के अनुरूप जन मन का आयोजन बना महाकुंभ

Mahakumbh became an event of people’s mind as per the intention of CM Yogi

महाकुंभ नगर, 27 जनवरी । तीर्थराज प्रयाग का महाकुंभ जन-मन का महापर्व बन चुका है। अपवाद छोड़ दें तो हर कोई एक-दूसरे का हर संभव सहयोग कर रहा है। प्रशासन की तो खैर हर जगह प्रभावी उपस्थित है ही और लक्ष्य है कि सनातन धर्म का हर आयोजन, जन मन का आयोजन बने। स्थानीय लोगों के अलावा बाकी लोग भी अपने संभव सहयोग के जरिए ब्रांड एंबेसडर की भूमिका निभाएं।

यही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा भी है। इसी मानसिकता से पर्यटन जन उद्योग बनेगा। विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुंभ इसका बहुत बड़ा अवसर बन रहा है।

शुरुआत फाफामऊ से करते हैं। लखनऊ की बस फाफामऊ के बेला कछार में उतार देती है। रात होने को थी। उतरकर एक राहगीर से पूछता हूं, “ये कौन सी जगह है? सिविल लाइंस जाना है।” जवाब मिला, “बेला कछार फाफामऊ। यहां से आपको सिविल लाइंस के लिए ऑटो मिल जाएंगे।” सामने कुछ ऑटो दिख भी रहे थे।एक ऑटो वाले ने कहा, “सामने 200 कदम आगे पानी की टंकी के उस पार सड़क पर खड़ा हर ऑटो सिविल लाइंस ही जाएगा। 30 रुपए किराया है। उससे ज्यादा नहीं देना है। योगी सरकार ने यही रेट निर्धारित किया है।”

सिविल लाइंस होते हुए महाकुंभ में डेरे तक पहुंचते-पहुंचते रात हो गई तो संगम नोज पर एक सज्जन मिले। बिहार से थे। उन्होंने यूं ही पूछ लिया, “संगम नहाना है?” मैंने हां में जवाब दिया तो वह वहां तक जाने की पूरी प्रक्रिया बता गए। मसलन, नाव कहां से मिलेगी, किराया क्या होगा। सब एक सांस में। साथ ही यह भी कहा, “भाई साहब, बिना संगम स्नान के मत जाइएगा।”

दूसरे दिन सुबह सेक्टर चार से निकलकर पास स्थित वीआईपी घाट पर संगम स्नान के इरादे से पहुंचे। अच्छी खासी भीड़ थी। प्रोटोकॉल वालों को भी प्रतीक्षा करनी पड़ रही थी। यहां भी अनायास एक सज्जन टकरा गए। पूछा, “आप तो रुके होंगे?” मैंने जवाब हां में दिया। फिर उन्होंने कहा, “भाई साहब, प्रोटोकॉल वालों के पास तो समय नहीं होता। उनको नहा लेने दीजिए। आप भी बिना नहाए मत जाइए। भले शाम हो जाए।” मैंने कहा, “जरूर। आया ही उसी मकसद से हूं।” करीब घंटे भर बाद अपनी भी बारी आ गई। संगम में स्नान-ध्यान के बाद इत्मीनान से कुंभ देखा। शाम तक यह सिलसिला चलता रहा। डेरे में आकर थोड़ा आराम और भोजन के बाद देर रात फिर मानवता के इस सबसे बड़े समायोजन को देखने निकल पड़ा।

सेक्टर चार से निकलकर किला घाट पहुंचा। वहां से यमुना के पक्के घाट पर। रास्ते से लेकर घाट तक चहल-पहल। रोशनी में किला अद्भुत लग रहा था। घाट से अरैल का जगमग इलाका किसी दूसरी दुनिया का अहसास करा रहा था। घाट पर मौजूद लोग इस मनमोहक तस्वीर को मोबाइल कैमरों में कैद कर रहे थे। कुछ युवा उस रात में भी यमुना में डुबकी लगा रहे थे। रह-रहकर पुलिस की गाड़ियों से बजते हुए हूटर मानों यह कह रहे थे, “बेफिक्र रहें, हम हैं।” यही तो योगी जी भी सबसे कहते हैं। “हर नागरिक की सुरक्षा हमारी गारंटी है।” यह गारंटी दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन प्रयागराज के महाकुंभ में भी दिख रही है। और, लोग उस पर मुकम्मल भरोसा भी कर रहे हैं। वाकई अद्भुत, अकल्पनीय और अविस्मरणीय है ये महाकुंभ।

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