December 12, 2024
National

महाकुंभ : प्रयागराज की दीवारों, गली-मोहल्ले, चौराहों पर दिखेगी मधुबनी चित्रकला और पौराणिक मूर्तियों की झलक

प्रयागराज, 12 दिसंबर । उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेले में कुछ ही दिन बचे हैं। यहां 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ का मेला शुरू हो रहा है और यह 26 फरवरी 2025 तक चलेगा। ऐसे में महाकुंभ की तैयारियां भी जोरो-शोरों से चल रही हैं। अलग-अलग अखाड़ों की ओर से भूमि पूजन और ध्वजा स्थापित करने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। इस बीच प्रयागराज की दीवारों और गली मोहल्ले, चौराहों पर पौराणिक मूर्तियों की झलक देखने को मिलेगी।

महाकुंभ मेले में प्रयागराज की शोभा बढ़ाने के लिए शहर की दीवारों और गली चौराहों और नुक्कड़ों पर पौराणिक मूर्तियां लगाई जा रही है। इसके साथ ही दीवारों पर मधुबनी चित्रकला के भी दर्शन होंगे। अधिकतर चित्र कलाकार मथुरा के हैं।

मथुरा से आए चित्र कलाकार कृष्ण मुरारी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। कई पेंटिंग बनाई जा रही है। इसके पीछे उद्देश्य यही है कि प्रयागराज की सुंदरता बढ़े और बाहर से आ रहे लोगों को कुछ खास देखने के लिए मिले। यहां आ रहे लोग भारत की सभ्यता और संस्कृति के बारे में जान सकें। यहां पर मधुबनी स्टाइल की चित्रकला है और कुछ पेंटिंग्स कुंभ से जुड़ी हुई हैं।”

मथुरा के एक और चित्र कलाकार राकेश कुमार मथुरा ने आईएएनएस से बताया, “हम यहां पर सौन्दर्य के लिए पेंटिंग में घाटों, मंदिरों आदि का चित्रण करके पुरानी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे पर्यटकों में दिलचस्पी बढ़ें। उनको भारतीय कला के दर्शन हों, जिस पर वह अपने विचार व्यक्त कर सकें।”

यह स्पष्ट है कि महाकुंभ में आने वाले देशी विदेशी श्रद्धालुओं के लिए यह चित्रकला, मूर्तियां और विभिन्न प्रदर्शनी कहीं न कहीं आकर्षण का प्रमुख केंद्र बनेंगे। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रयागराज के प्रमुख चौराहों पर स्थापित करने का काम जोर-जोर से चल रहा है।

आईएएनएस ने मूर्तियों और चित्रकला की प्रदर्शनियों पर कुलदीप सिंह नाम के यात्री से उनकी प्रतिक्रिया ली। कानपुर से आए कुलदीप ने बताया, “मैं जिस तरह से दीवारों पर खास तस्वीरों और कई जगहों पर मूर्तियों को देख रहा हूं, उससे ऐसा लग रहा है कि महाकुंभ 2025 बहुत खास होने जा रहा है। इस बार पूरी दिव्यता और भव्यता के साथ मेला लगेगा। शासन-प्रशासन ने भी इसमें काफी मदद की है।”

कुल मिलाकर श्रद्धालुओं को इस बार प्रयागराज की धरती पर कदम रखते ही प्राचीन भारतीय संस्कृति की दिव्यता और अलौकिकता के दर्शन होंगे।

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