महाकुंभ नगर, 7 जनवरी । ग्रह-नक्षत्रों के विशिष्ट खगोलीय संयोग से 144 वर्ष बाद पड़ रहे महाकुंभ-2025 के दिव्य-भव्य आयोजन में सभी अखाड़े तिथि और परंपरा अनुसार महाकुंभ मेला क्षेत्र में छावनी प्रवेश कर रहे हैं। इसी क्रम में भगवान सूर्य को अपना इष्ट देव मानने वाले श्री तपोनिधि आनंद अखाड़े ने सोमवार को परंपरा अनुसार महाकुंभ में छावनी प्रवेश किया।
शैव परंपरा के श्री तपोनिधि आनंद अखाड़े ने हाथी, घोड़ों, रथ, ऊंट पर सवार नागा संन्यासियों, आचार्य, मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर ने बाजे-गाजे के साथ मेला क्षेत्र में प्रवेश किया। छावनी प्रवेश यात्रा में साधु-संन्यासियों का नगर और मेला प्रशासन ने माल्यार्पण और पुष्प वर्षा कर स्वागत किया, तो वहीं प्रयागराजवासियों ने भी नागा संन्यासियों का दुर्लभ दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त किया।
सनातन धर्म और संस्कृति के रक्षक श्री तपोनिधि आनंद अखाड़े ने सोमवार को परंपरा और क्रम के अनुसार महाकुंभ-2025 के मेला क्षेत्र में दिव्य-भव्य छावनी प्रवेश किया। आनंद अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा मठ बाघम्बरी गद्दी से निकलकर भारद्वाज पुरम के लेबर चौराहे से मटियारोड होते हुए अलोपी देवी चौराहे पहुंची। अलोपी देवी से छावनी प्रवेश यात्रा दशाश्वमेध घाट से मुड़कर शास्त्री ब्रिज के नीचे से होते हुए संगम क्षेत्र में प्रवेश कर गई।
छावनी यात्रा का जगह-जगह नगरवासियों और नगर प्रशासन ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। संगम क्षेत्र में छावनी यात्रा के दौरान मेला प्रशासन के अधिकारियों ने अखाड़े के साधु-संन्यासियों और मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर का स्वागत और अभिनंदन किया।
आनंद अखाड़े की भव्य शोभा यात्रा में बाजे-गाजे के साथ सबसे आगे धर्म ध्वजा चल रही थी। उसके पीछे धर्म के रक्षक नागा संन्यासियों की टोली हाथों में भाले, बरछी, तलवार लेकर इष्ट देव भगवान सूर्य का विग्रह लेकर चल रहे थे। छावनी प्रवेश यात्रा में भगवान सूर्य के साथ गुरु निशान लेकर चल रहे थे, जो मेला क्षेत्र के अखाड़े में स्थापित की गई। भगवान सूर्य के जयघोष के साथ अखाड़े के आचार्य, मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर अपने-अपने रथों, हाथी, घोड़ों पर सवार होकर छावनी यात्रा की शोभा बढ़ा रहे थे।
छावनी यात्रा में अखाड़े के अध्यक्ष शंकरानंद गिरि, आचार्य महामंडलेश्वर बालकानंद गिरि के मार्गदर्शन में महामंडलेश्वर सुरेन्द्रानंद गिरि, सचिव बरेली के कालू गिरि महाराज के साथ ही महिला महामंडलेश्वर साध्वी मंजू, श्री जी आदि साधु-संन्यासियों ने नगरवासियों को आशीर्वाद देते हुए मेला क्षेत्र में प्रवेश किया।
श्री तपोनिधि आनंद अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा नागा संन्यासियों के क्रम में आखिरी प्रवेश यात्रा थी। इसके बाद वैष्णव बैरागी अखाड़े, उदासीन और निर्मल अखाड़े का छावनी प्रवेश परंपरा और तिथि क्रम के हिसाब से होगा। आनंद अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा के बाद शाम को संगम क्षेत्र में अखाड़ा परिसर में पहुंचकर सबसे पहले धर्म ध्वजा को स्थापित किया गया।
इसके बाद अखाड़े के साधु-संन्यासियों ने मंत्रोच्चार के बीच इष्ट देव भगवान सूर्य के मंदिर की अखाड़े में स्थापना की। अखाड़े के सभी संतों ने सनातन धर्म की रक्षा और विश्व कल्याण के संकल्प का उद्घोष कर भगवान सूर्य और ‘गंगा मैया की जय’ का जयकारा लगाया।
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