मुंबई, 8 अप्रैल । लोकसभा चुनाव से पहले पूर्व मंत्री और राकांपा विधायक एकनाथ खडसे के लिए रेड कार्पेट बिछाने का भाजपा का कदम ओबीसी कार्ड खेलने और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली मराठा समुदाय की नाराजगी से बचने के लिए एक सोचा-समझा कदम है। गौरतलब है कि मनोज जारांगे-पाटिल मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए आंदोलन कर रहे हैं।
खडसे की “घर वापसी” को केंद्रीय नेतृत्व की हरी झंडी का उद्देश्य खडसे को सम्मान देना है, जो ओबीसी के बड़े नेता हैं। इससे एनडीए गठबंधन का लोकसभा में मिशन 45 प्लस व महाराष्ट्र विधानसभा में 200 प्लस के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।
केंद्रीय नेतृत्व ने खडसे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और राज्य मंत्री गिरीश महाजन के बीच के मतभेदों के बजाय पार्टी की जीत को प्रमुखता और प्राथमिकता दी है।
खडसे के जल्द ही पूरे महाराष्ट्र में पार्टी के प्रचार अभियान में शामिल होने की उम्मीद है।
प्रमुख ओबीसी नेताओं में से एक खडसे ने गोपीनाथ मुंडे के साथ महाराष्ट्र में भाजपा के उत्थान के लिए चार दशकों से अधिक समय तक संघर्ष किया था। वह 2020 में पार्टी के राज्य नेतृत्व की आलोचना करते हुए राकांपा में शामिल हो गए थे। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि खडसे के भाजपा में आने से मराठा वोटों के संभावित नुकसान की भरपाई करने में मदद मिलेगी।
पार्टी ने अपना पुराना गौरव हासिल करने के लिए खडसे के अलावा बीड से वंजानी समुदाय से एक अन्य ओबीसी नेता पंकजा मुंडे और परभणी से पार्टी सहयोगी राष्ट्रीय समाज पक्ष के संस्थापक महादेव जानकर को भी संतुष्ट रखने व टिकट देने का समझदारी भरा निर्णय लिया।
धनगर समुदाय से आने वाले जानकर को परभणी सीट से अजीत पवार के नेतृत्व वाली राकांपा के कोटे से महायुति की सीट-बंटवारे की व्यवस्था में समायोजित किया गया है।
पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ”खडसे की एंट्री से पार्टी का मानना है कि महाराष्ट्र में मराठा वोटों के नुकसान की भरपाई की जा सकती है। पार्टी में खडसे की मौजूदगी से न केवल उत्तर महाराष्ट्र, बल्कि मराठवाड़ा और अन्य हिस्सों में भी पार्टी की संभावनाओं को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, खडसे मुक्ताईनगर, भुसावल, जलगांव और रावेर विधानसभा क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
खडसे के आने का समय महत्वपूर्ण है। पुणे जिले में उनके परिवार के सदस्यों से जुड़े एक भूमि सौदे से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें जमानत मिल चुकी है।
मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में राजस्व मंत्री रहे खडसे को भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद 2016 में इस्तीफा देना पड़ा था। उन्होंने खुले तौर पर सीएम पद पर दावा किया था।
इसके अलावा, खडसे को महाराष्ट्र सरकार द्वारा पिछले साल उनके और उनके परिवार के सदस्यों को बिना अनुमति के लघु खनिजों का उत्खनन करने के लिए जुर्माने के रूप में 137 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान के निर्देश से भी राहत मिला है।