महाराष्ट्र विधानसभा ने शुक्रवार को महाराष्ट्र स्टाम्प ड्यूटी (दूसरा संशोधन) बिल 2025 में बदलाव के लिए एक बिल बिना किसी विरोध के पास कर दिया। इसका मकसद स्टाम्प ड्यूटी से जुड़े झगड़ों में आम आदमी को राहत देना है। इस बिल में लोगों को स्टाम्प ड्यूटी से जुड़े झगड़ों में हाई कोर्ट जाने के बजाय सीधे राज्य सरकार के पास अपील करने का आसान मौका देने का प्रस्ताव है।
राज्य सरकार के रेवेन्यू मिनिस्टर चंद्रशेखर बावनकुले ने यह बिल राज्य विधानसभा में पेश किया।\ इस बिल पर चर्चा करते हुए विधायक भास्कर जाधव और अतुल भातखलकर ने अपने विचार रखे, जिसके बाद सदन ने बिल को बिना किसी विरोध के पास कर दिया।
मंत्री बावनकुले ने कहा, “मौजूदा ‘महाराष्ट्र स्टाम्प एक्ट, 1958’ के नियमों के मुताबिक, चीफ कंट्रोलिंग रेवेन्यू ऑफिसर के पास किए गए ऑर्डर को सिर्फ हाई कोर्ट में रिट पिटीशन फाइल करके ही चैलेंज किया जा सकता था। इससे हाई कोर्ट पर केस का बोझ और पार्टियों के कानूनी खर्चे बढ़ गए। साथ ही, कोर्ट में केस पेंडिंग रहने की वजह से राज्य सरकार का रेवेन्यू भी लंबे समय तक अटका रहता था। इसके सॉल्यूशन के तौर पर, एक नया ‘सेक्शन 53बी’ डाला गया है।”
इस नए नियम के मुताबिक, चीफ कंट्रोलर रेवेन्यू अथॉरिटी के आदेश से परेशान कोई भी व्यक्ति अब आदेश मिलने की तारीख से 60 दिनों के अंदर राज्य सरकार के पास अपील कर सकता है। इस अपील के लिए 1 हजार रुपए की फीस तय की गई है। राज्य सरकार दोनों पक्षों को सुनकर उस पर सही फैसला देगी और यह आखिरी फैसला होगा।
मंत्री बावनकुले ने भरोसा जताया कि इस बदलाव से हाई कोर्ट में पेंडिंग केस की संख्या कम होगी और आम नागरिक का समय और पैसा बचेगा। इस बिल के मकसद और कारणों के बयान में यह साफ किया गया है कि इससे राज्य सरकार का फंसा हुआ रेवेन्यू भी जल्दी मिल जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह बिल सेक्शन 32सी और सेक्शन 53 में भी बदलाव लाएगा।
उन्होंने कहा कि यह बिल नागरिकों को जल्दी न्याय दिलाने और एडमिनिस्ट्रेटिव कार्रवाई को आसान बनाने में अहम होगा।

