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महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष ने 34 याचिकाओं का निपटारा किया, गोवा विधानसभा अध्यक्ष ने याचिकाएं लंबित रखीं : कांग्रेस

Maharashtra Assembly Speaker disposed of 34 petitions, Goa Assembly Speaker kept petitions pending: Congress

पणजी, 12 जनवरी। कांग्रेस नेता गिरीश चोडनकर ने शुक्रवार को कहा कि जहां महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने 34 अयोग्यता याचिकाओं का निपटारा कर दिया है, वहीं, गोवा विधानसभा के अध्यक्ष रमेश तवाडकर अपने सामने लंबित अयोग्यता याचिकाओं को सुनने में असमर्थ हैं।

गिरीश चोडनकर ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं। अपने निजी राजनीतिक एजेंडे के लिए उन्हें संतुष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि रमेश तवाडकर को स्पीकर (अध्यक्ष) पद से इस्तीफा दे देना चाहिए, उनका आचरण उस संवैधानिक पद को सही ठहराने में विफल रहा है जिसकी वह अध्यक्षता करते हैं। जबकि, महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष ने एक ही समय सीमा के भीतर 34 अयोग्यता याचिकाओं का निपटारा कर दिया है। तवाडकर न केवल लंबित अयोग्यता याचिकाओं को सुनने में विफल रहे हैं, बल्कि अधिकांश याचिकाओं में निर्णय प्रक्रिया भी शुरू नहीं की है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि अध्यक्ष के संवैधानिक पद पर बैठे भाजपा नेता ने अयोग्यता के मामलों को तत्परता और समयबद्ध तरीके से निपटाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अनदेखी की है।

महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद 18 महीनों में 34 याचिकाओं का निपटारा किया, जबकि, गोवा विधानसभा अध्यक्ष केवल 4 याचिकाओं के साथ समय बर्बाद कर रहे हैं, जो पिछले 16 महीनों से लंबित हैं।

अध्यक्ष के उच्च पद के प्रति पूरे सम्मान के साथ, वर्तमान गोवा अध्यक्ष की जानबूझकर राजनीतिक लाभ उठाने की टाल-मटोल की रणनीति राजनीतिक दुर्भावना की बू आती है और हमारे जैसे लोकतांत्रिक देश में अस्वीकार्य है।

उन्होंने कहा कि उन्हें हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि तवाडकर अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करने में विफल रहे हैं। यह स्पष्ट है कि वह केवल अपनी राजनीतिक पार्टी को बचाने के लिए अयोग्यता याचिकाओं पर अपनी सनक और इच्छानुसार फैसला करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं।

तवाडकर स्वाभाविक रूप से तटस्थ, संवैधानिक पद पर रहने के बावजूद अपने राजनीतिक दल का पक्ष लेकर लोकतंत्र की हत्या करने के दोषी हैं।

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