झारखंड मुक्ति मोर्चा की सांसद महुआ माझी ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के हालिया बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां का संविधान हर नागरिक को, चाहे वो किसी भी जाति, धर्म या समुदाय से हों, बराबर अधिकार देता है। भारत की पहचान उसकी साझा संस्कृति और बहुसांस्कृतिक विरासत से बनी है।
उन्होंने कहा कि भारत सिर्फ एक धर्म या एक जाति से नहीं बना, बल्कि सदियों से अलग-अलग संस्कृतियों के लोगों का मिलन स्थल रहा है। उन्होंने उदाहरण भी दिए कि डच, फ्रेंच, पुर्तगाली, मुगल, पठान और अंग्रेज ये सब भारत आए। इनके आने से न सिर्फ सामाजिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान हुआ, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और जीवनशैली पर भी इनका असर पड़ा। अब यह कहना कि किसी समूह को उखाड़ फेंक देना चाहिए या उन्हें देश की राजनीति में हिस्सा नहीं मिलना चाहिए, यह बिल्कुल गलत और असंवैधानिक सोच है।
उन्होंने यह भी कहा कि कई ऐसी जातियों और धर्मों के लोग, जिन पर आज सवाल उठाए जा रहे हैं, उन्होंने भारत की आजादी की लड़ाई में बड़ी भूमिकाएं निभाई हैं। इसलिए किसी एक समुदाय को निशाना बनाना सही नहीं है। महुआ माजी ने साफ कहा कि मुख्यमंत्री हों या प्रधानमंत्री, ये पद किसी एक धर्म या जाति का नहीं होता, ये पूरे देश का होता है। उन्होंने हिमंत बिस्वा सरमा को सलाह दी कि ऐसे बयानों से बचना चाहिए, क्योंकि यह देश की एकता के खिलाफ है।
उधर, भाजपा की तरफ से इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा सांसद मनोज तिग्गा ने कहा कि केंद्र सरकार कभी धर्म या जाति देखकर योजनाएं नहीं चलाती। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना हो, उज्ज्वला योजना हो या प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, इन सभी योजनाओं का फायदा हर धर्म और हर जाति के लोगों को मिलता है। सड़क बनती है तो उस पर सिर्फ हिंदू नहीं चलते, हर कोई चलता है। गैस सिलेंडर भी किसी धर्म को देखकर नहीं मिलता।
मनोज तिग्गा ने कहा कि भाजपा ही असल मायने में धर्मनिरपेक्ष पार्टी है, क्योंकि वह पूरे 140 करोड़ भारतीयों की सेवा करने की सोच रखती है। उनका कहना है कि कौन किसे वोट देगा, यह हर नागरिक के विवेक पर निर्भर करता है, लेकिन सरकार का काम सबके लिए समान होना चाहिए और भाजपा वही कर रही है।


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