November 11, 2025
Entertainment

माला सिन्हा बर्थडे: बार-बार के रिजेक्शन या चेहरे पर मजाक से नहीं खोया हौसला, बॉलीवुड में कमाया नाम

Mala Sinha Birthday: Repeated rejections and mockery didn’t deter her, earning fame in Bollywood

फिल्मी दुनिया में कई कलाकार आए और गए, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जिनकी चमक हमेशा रहती है। माला सिन्हा भी उन चुनिंदा कलाकारों में से एक हैं जिनकी कहानी सिखाती है कि अगर इंसान ठान ले तो कोई भी मुश्किल उसे रोक नहीं सकती।

माला सिन्हा आज भी हिंदी सिनेमा की यादगार हीरोइन के रूप में जानी जाती हैं, लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि फिल्मों में आने के शुरुआती दिनों में उन्हें रिजेक्शन का सामना भी करना पड़ा था।

माला सिन्हा का जन्म 11 नवंबर 1936 को कोलकाता में एक क्रिश्चियन नेपाली परिवार में हुआ था। उनका परिवार मूल रूप से पश्चिम बंगाल का था, लेकिन बंटवारे के बाद नेपाल में बस गया। बचपन से ही माला को अभिनय का शौक था। उन्होंने पढ़ाई के बाद बंगाली फिल्मों से अपने करियर की शुरुआत की, लेकिन उनका असली सपना हिंदी सिनेमा में लीड एक्ट्रेस बनना था, जिसे पूरा करने के लिए वह अपनी बेटी के साथ मुंबई आ गईं।

मुंबई आने के शुरुआती दिनों में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। कई प्रोड्यूसर्स और निर्देशकों ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया और कई ने तो उनकी शक्ल का मजाक भी उड़ाया, जिसका जिक्र माला ने एक इंटरव्यू में किया था।

उनके इंटरव्यू के मुताबिक, एक प्रोड्यूसर ने खुले तौर पर कहा कि उनकी नाक खराब है और वह हीरोइन नहीं बन सकतीं। यह सुनकर वह काफी दुखी हुईं और रोईं भी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने ऑडिशन देना जारी रखा और अपनी मेहनत से सबका नजरिया बदल दिया।

माला की पहली हिंदी फिल्म ‘बादशाह’ (1954) थी, लेकिन यह फिल्म ज्यादा सफल नहीं रही। असली पहचान उन्हें 1959 में आई फिल्म ‘धूल का फूल’ से मिली। इस फिल्म ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया।

इसके बाद माला सिन्हा के करियर की कहानी चमकते सितारों की तरह रही। उन्होंने ‘प्यासा’, ‘गीत’, ‘हिमालय की गोद में’, ‘आंखें’, ‘अनपढ़’, ‘दिल तेरा दीवाना’, ‘दो कलियां’, ‘मेरे हुजूर’, ‘संजोग’, ‘परवरिश’, ‘उजाला’ जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया। माला ने गुरु दत्त, राज कपूर, अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, शम्मी कपूर और राजेंद्र कुमार जैसे बड़े कलाकारों के साथ अभिनय किया। उनकी अदाकारी, खूबसूरती और बेबाक अंदाज के कारण वह 50 और 70 के दशक की सबसे प्रसिद्ध हीरोइन बन गईं।

माला सिन्हा को उनके शानदार योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान भी मिले। उन्होंने हिंदी सिनेमा के इतिहास में अपनी अलग पहचान बनाई। उनकी फिल्मों और गानों को आज भी लोग याद करते हैं। माला ने अपने करियर में हमेशा मेहनत और लगन के साथ काम किया, साबित किया कि कोई भी आलोचना या रिजेक्शन किसी भी सपने को रोक नहीं सकता।

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